:बात इश्क की है: रचनाकार:अमित सर: |
बात इश्क की है तुमको न समझ आएँगी
मुझको जाने दो, फिर देखना यादें सताएंगी
पास रहकर के अहसास मर से गए
जुदाई मेरी, तुमको ये बातें बताएँगी
कितनी पागल हो तुम ,कितना पागल हूँ मैं
छोड़ दो दुनिया पर , वही समझाएंगी
रावण-सी दुनिया ने, जुदा कर दिया
आज राम को सीता बहुत याद आएँगी
दूरियों के चलन का है अपना मजा
खुद मैं तड़पूँगा ,तू भी तड़प जाएँगी
कैसे दिल के जले, तप के सोना बने
कह दो जिंदगी से,कितना आजमाएंगी
तेरा मेरा है जो,कोई रिश्ता नहीं
रिवायत है, ये दुनिया ऊँगली उठाएँगी
मुझको जाने दो, फिर देखना यादें सताएंगी
पास रहकर के अहसास मर से गए
जुदाई मेरी, तुमको ये बातें बताएँगी
कितनी पागल हो तुम ,कितना पागल हूँ मैं
छोड़ दो दुनिया पर , वही समझाएंगी
रावण-सी दुनिया ने, जुदा कर दिया
आज राम को सीता बहुत याद आएँगी
दूरियों के चलन का है अपना मजा
खुद मैं तड़पूँगा ,तू भी तड़प जाएँगी
कैसे दिल के जले, तप के सोना बने
कह दो जिंदगी से,कितना आजमाएंगी
तेरा मेरा है जो,कोई रिश्ता नहीं
रिवायत है, ये दुनिया ऊँगली उठाएँगी
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