शनिवार, 26 मई 2012

विचार......

:विचार:रचनाकार:अमित सर:
ये पागल विचार ....
कितने तेज होते है ...

तूफ़ान से लगते है ...

बिजली से कौंधते है...

बस जागते रहते है ....

न आँखें मूंदते है...

अद्भुत होते है....

चमत्कृत करते है...

कभी नहीं डरते है...

सुबह
,शाम,रात हो...
गरजते है
,बरसते है...
विचारों के आने से...

आत्ममंथन होता है ...

हलाहल निकलता है...

अमृत छलकता है...

विचार एक घोडा है...

कितना तेज दौड़ा है...

समय से भी आगे है...

विचार कैसा भागे है...

इसको जान लेने से...

कमान तान लेने से...

तीर सही लगता है ...

विचार सुलगता है...

इसमें आग होती है...

आग की तपिश में...

जब विचार पकता है...

तो दिल को लगता है...

ये विचार पानी है...

आर-पार दिखता है...

आजकल ये बिकता है...

संतो ने बेचा है...

भक्तो ने ख़रीदा है...

दुकानदारी चलती है...

पर बात यही खलती है...

क्या हम इतने विवेकहीन है ...

जो विचार खरीदते है...

या अपने पापों का...

उपचार खरीदते है...

सोचने की जरूरत है...

झाकियें मन
में...
वहाँ विचार खूबसूरत है ...

विचार कस्तूरी है...

मन में गहरे बैठा है...

खुशबू में पागल हम...

भटकते बाहर है...

जबकि
,वो अन्दर है...
विचार समन्दर है...

वो सीप का मोती है ....

दीये की ज्योति है ...

विचार पूर्णाहूति है !!!विचार पूर्णाहूति है !!!

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