:तुमसे बड़े है : रचनाकार:अमित सर: |
मेरे अशार यहाँ - वहाँ बिखरे पड़े है
बस तुम्हारे आने की जिद पे अड़े है
तुम आ जाओ तो पिघलकर कोई शायरी बने
शब्द सारे तुम्हारे इंतजार में खड़े है
जब कहता हूँ तुमपर , ये खूबसूरत लगते है
जैसे सोने की अंगूठी में नगीने - से जड़े है
मुझसे रूठकर बैठी है कायनात सारी
चाँद , तारे, फूल सब मुझसे लड़े है
क्यों इस कदर डांट देती हो मुझको
दो-चार साल ही सही,पर तुमसे बड़े है
बस तुम्हारे आने की जिद पे अड़े है
तुम आ जाओ तो पिघलकर कोई शायरी बने
शब्द सारे तुम्हारे इंतजार में खड़े है
जब कहता हूँ तुमपर , ये खूबसूरत लगते है
जैसे सोने की अंगूठी में नगीने - से जड़े है
मुझसे रूठकर बैठी है कायनात सारी
चाँद , तारे, फूल सब मुझसे लड़े है
क्यों इस कदर डांट देती हो मुझको
दो-चार साल ही सही,पर तुमसे बड़े है
Ek salah - Ise Copyright karwa lena chahiye
जवाब देंहटाएं