गुरुवार, 24 मई 2012

दो-चार साल ही सही,पर तुमसे बड़े है .....

  
:तुमसे बड़े है : रचनाकार:अमित सर: 
मेरे अशार यहाँ - वहाँ बिखरे पड़े है
बस तुम्हारे आने की जिद पे अड़े है

तुम आ जाओ तो पिघलकर कोई शायरी बने

शब्द सारे तुम्हारे इंतजार में खड़े है

जब कहता हूँ तुमपर , ये खूबसूरत लगते है

जैसे सोने की अंगूठी में नगीने - से जड़े है

मुझसे रूठकर बैठी है कायनात सारी

चाँद , तारे, फूल सब मुझसे लड़े है

क्यों इस कदर डांट देती हो मुझको

दो-चार साल ही सही,पर तुमसे बड़े है 




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