शनिवार, 19 मई 2012

इस बिस्तर का दिल धडकने लगा है .....

:बिस्तर का दिल : रचनाकार: अमित सर:

इस बिस्तर का दिल धडकने लगा है , तेरी कुछ सिलवटें इसमें बाकी है
लगता है अभी अंगड़ाई लेके खुशनुमा हो जायेंगा, तेरी कुछ करवटें इसमें बाकी है

सारा चमन उजड़ा , सूखी  कलियाँ , फूलों ने दम तोड़ दिया
तूने छुआ था वो फूल जिन्दा है, तेरी कुछ मुस्कुराहटें इसमें बाकी है

मंदिर, मस्जिद , गुरूद्वारे सब बेजान इमारते थी पत्थर की ढह गयी
मेरा दिल आबाद है अब भी , तेरी कुछ बनावटे इसमें बाकी है

आसमान की गोद हुई सूनी , कुछ बादल रूठे, कुछ छुटे
मेरे दिल में घटाएँ अब भी उठती है , तेरी कुछ लटें इनमे बाकी है

लोग कहते है , मै मर गया, सांस रुक गयी, जी थम गया
कमबख्त जानते नहीं , तू दिल में है, तेरी कुछ आहटें इसमें बाकी है


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