:बिस्तर का दिल : रचनाकार: अमित सर: |
इस बिस्तर का दिल धडकने लगा
है
, तेरी कुछ सिलवटें इसमें बाकी है
लगता है अभी अंगड़ाई लेके
खुशनुमा हो जायेंगा, तेरी कुछ करवटें इसमें बाकी है
सारा चमन उजड़ा , सूखी कलियाँ , फूलों ने दम तोड़ दिया
तूने छुआ था वो फूल जिन्दा
है,
तेरी कुछ मुस्कुराहटें इसमें बाकी है
मंदिर, मस्जिद
, गुरूद्वारे सब बेजान इमारते थी पत्थर की ढह गयी
मेरा दिल आबाद है अब भी , तेरी कुछ
बनावटे इसमें बाकी है
आसमान की गोद हुई सूनी , कुछ बादल
रूठे, कुछ छुटे
मेरे दिल में घटाएँ अब भी
उठती है , तेरी कुछ लटें इनमे बाकी है
लोग कहते है , मै मर गया,
सांस रुक गयी, जी थम गया
कमबख्त जानते नहीं , तू दिल
में है, तेरी कुछ आहटें इसमें बाकी है
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