:आखों में आँसू लिये : रचनाकार : अमित सर : |
आँखों में आसूं लिए मै मुस्कुराता रह गया
तुम समझी खुश हूँ मैं , मै गम छुपाता रह गया
तुम कितनी आसानी से चली गई ऐ जानेमन
और मैं हथेलियों पर चाँद सजाता रह गया
बेईमान राहों पर कोसों दूर निकल चले
मै पगला ईमान की बातें बताता रह गया
सालों-साल बीत गए जम्हूरियत की सर्कस को
भारत गरीबी हटाओ का नारा लगता रह गया
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