मंगलवार, 29 मई 2012

आम आदमी .....

:आम आदमी : रचनाकार : अमित सर:

मैं भारत का आम आदमी !!!
सड़कों पर पिटता हूँ
दंगों में कटता हूँ
जेलें भी भरता हूँ
घुट-घुट के जीता हूँ
तिल-तिल के मरता हूँ
उम्र कम करता हूँ
खुद से ही डरता हूँ
खुद ही से लड़ता हूँ
मैं भारत का आम आदमी !!!

हादसे जब होते है
उनमे मैं मरता हूँ
टूटने पर 50  हजार
मरने पर एक लाख
सस्ते में बिकता हूँ
रस्ते पर दिखता हूँ
मैं बस आँकड़ा हूँ
रिपोर्टों में जड़ा हूँ
मैं भारत का आम आदमी !!!

मेहनत मैं करता हूँ
टैक्स भी भरता हूँ
सुब्ह-शाम मरता हूँ
जीता हूँ -डरता हूँ
पुलिस के डंडों से
गुंडों के फँदों से
लूच्चे-लफंगों से
सफेदपोश नंगों से
मैं भारत का आम आदमी !!!

संसद में दाल सस्ती है
नेताओं में मस्ती है
इनको न बोलो कुछ
ये बड़ी हस्ती है
कानून बनाते है
हमको डर दिखाते है
कितना सताते है
फिर भी खामोश हूँ
मैं भारत का आम आदमी !!!

महँगाई सहता हूँ
खामोश रहता हूँ
नेताओ के नाटक पर
कुछ भी न कहता हूँ
सुबह - शाम खटता हूँ
अपनों में बटता हूँ
दो जून रोटी की
जुगत में रहता हूँ
मैं भारत का आम आदमी !!!

जाति में बँटा हूँ
अपनों से कटा हूँ
मैं केवल वोट हूँ
पाँच सौ में बिका हूँ
टी.वी. पर देखता हूँ
सारा देश "मेट्रो" में
पर झाँको गावों में
साईकिल पर चलता हूँ
मैं भारत का आम आदमी !!!

पसीना बहाता हूँ
खुद को गँवाता हूँ
बच्चों की खातिर मैं
खुद भी बिक जाता हूँ
पानी से पेट भरके भी
हँसता हुआ आता हूँ
चोरी की ही सही
दो रोटी लाता हूँ
मैं भारत का आम आदमी !!!

मैंने सूखा झेला है
बाढ़ को धकेला है
भूकंप से उभरा हूँ
सुनामी से लड़ा हूँ
फिर भी मैं मरा हूँ
नेताओं के चोचलों से
झूठे ढकोसलों से
कितना ठगा हूँ
मैं भारत का आम आदमी !!!

इनकी हवाई यात्राएँ
लाखों की होती है
करोड़ों के बंगले है
"खादी" की धोती है
फिर भी इनको चुनता हूँ
झूठे सपने बुनता हूँ
लोकतंत्र है भाई !
सम्मान करता हूँ
मैं भारत का आम आदमी !!!

भारी-भारी शब्द है
संसद की गरिमा !
सांसदों का अधिकार !
साला!सब छलावा है
नोटों का बुलावा है
मंत्री से संत्री तक
सब के सब बिकाऊ है
मैं भी घूस देता हूँ
मैं भारत का आम आदमी !!!

जेलों में सड़ता हूँ
सालों -साल लड़ता हूँ
तारीख पर तारीख
अदालत की सीढ़ी चढ़ता हूँ
कभी-कभी अड़ता हूँ
तो टूट जाता हूँ
जज से वकील तक
पैसा खिलाता हूँ
मैं भारत का आम आदमी !!!

साला ! सब धंदा है
मंदिर दुकान है
बिकाऊ भगवान है
उपदेश बिकते है
झूठी ख़बरें लिखते है
ये अख़बार और चैनल
"चमचे" से दिखते है
मैं भी देखता हूँ
मैं भारत का आम आदमी !!!

साली जिंदगी झंड है
फिर भी घमंड है
भारत महान है
लोकतंत्र जान है
नाटक है सब का सब
पार्टी एक व्यापार है
नेता दुकानदार  है
फिर भी मैं चुप हूँ
मैं भारत का आम आदमी !!!
अंजान और गुमनाम आदमी
मैं भारत का आम आदमी !!!

















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