:SUPERMOON : रचनाकार : अमित सर : ७ मई २०१२: |
चाँद ....तुम आज कितने बड़े हो गए हो !!!
अपनी ही रौशनी में खड़े हो गए हो .........
जहाँ देखो वहाँ तुम्हारा ही चर्चा है....
तुम्हारी ही बात है......
पर अब जब सबकुछ खामोश हो चूका है.....
मैं हूँ ,तुम हो और स्याह रात है ....
सुना है आज तुम ‘सुपर’ हो गए हो
आसमाँ से भी ऊपर हो गए हो
पर इस चका-चौंध में क्या देखा है तुमने ???
कि...तुम अपने आसपास के सितारों को निगल गए हो ....
अपनी ही रोशनी से छल गए हो
इतने बड़े आसमान में कितने अकेले हो
पर भूलना मत....
तुम सितारों की ही गोद में खेले हो
जब कल कोई तुम्हारी तरफ सिर उठाकर देखेंगा भी नहीं ...
तब भी ये नन्हे - नन्हे टिमटिमाते सितारें
तुम्हारा साथ देंगे .....
तुम्हारे अकेलेपन को यही मात देंगे .....
तुम्हारे अकेलेपन को यही मात देंगे .....
अपनी ही रौशनी में खड़े हो गए हो .........
जहाँ देखो वहाँ तुम्हारा ही चर्चा है....
तुम्हारी ही बात है......
पर अब जब सबकुछ खामोश हो चूका है.....
मैं हूँ ,तुम हो और स्याह रात है ....
सुना है आज तुम ‘सुपर’ हो गए हो
आसमाँ से भी ऊपर हो गए हो
पर इस चका-चौंध में क्या देखा है तुमने ???
कि...तुम अपने आसपास के सितारों को निगल गए हो ....
अपनी ही रोशनी से छल गए हो
इतने बड़े आसमान में कितने अकेले हो
पर भूलना मत....
तुम सितारों की ही गोद में खेले हो
जब कल कोई तुम्हारी तरफ सिर उठाकर देखेंगा भी नहीं ...
तब भी ये नन्हे - नन्हे टिमटिमाते सितारें
तुम्हारा साथ देंगे .....
तुम्हारे अकेलेपन को यही मात देंगे .....
तुम्हारे अकेलेपन को यही मात देंगे .....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें