:मुक्तक: रचनाकार: अमित सर: |
हर कदम हर पल तुझसे सामना
होंगा
पता न था तुझे देखकर दिल
को थामना होंगा
काश के परदे में ही रहती
तू सदा जालिम
बेकाम हुए , हमसे अब
कोई काम ना होंगा
आसूओं से लिखी हुई इबारतों
का क्या
बिना नींव के खड़ी हुई इमारतों
का क्या
बिन कहे कहा है तूने, वो सच है
क्या ?
वर्ना तेरी आखों की शरारतों
का क्या ?
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