शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

आखिरी उम्मीद !!!

तुम भी न समझ सके मुझको
तुम आखिरी उम्मीद थे मेरी...
समझते हो आखिरी उम्मीद...
वही जिसके टूटने के बाद कुछ नहीं बचता
सब कुछ लगता है खत्म-सा
वैसे ही जैसे किसी अंजान शहर की
गुमनाम सड़क पर
घुप्प अंधेरा हो
और Dead End आ जाए
कुछ समझ नहीं आता है
दिल बैठा जाता है
आँखों में आँसू नहीं होते
होती है सिर्फ निराशा
ना-उम्मीदी,बेचैनी,दर्द,डिप्रेशन!
और...काट खानेवाला अकेलापन...
ये सब होता है...
आखिरी उम्मीद के खो जाने से
किसी के न समझ पाने से....
इसलिए अगर
बन सको तो किसी की आखिरी
उम्मीद बनो...
उसे पूरा करने की जिद बनो !
आखिरी वक़्त में दगा नहीं देते
किसी का दामन छोड़कर सज़ा नहीं देते...
उम्मीद की किरण को बुझा नहीं देते
जो नाउम्मीद हो उसे पीठ दिखा नहीं देते...
जो बैठा हो आपकी आस लगाए
उस शख्स को रुला नहीं देते !!
इसलिए जब किसी की आखिरी उम्मीद बनो
तो उसके लिए चट्टान-सा तनो...
मिट्टी-सा छनो...
दो उसे जीवन नया...
जिसने की हो तुमसे आखिरी उम्मीद...
क्योंकि आखिरी उम्मीद
इंसान से नहीं खुदा से की जाती है !
आखिरी उम्मीद
इंसान को खुदा बनाती है !!
आखिरी उम्मीद
इंसान को खुदा बनाती है !!
 

शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024

बेहिचक

रिश्ता ऐसा चाहिए
जिसमें कोई हिचक न हो...
कोई कसक न हो...
कोई ठसक न हो....
बस हो पानी-सा
निर्मल बहाव...
हो धूप-सा
चंचल स्वभाव....
हो फूलों-सी ताज़गी
न हो कोई नाराज़गी !
कोई भी ताम-झाम न हो
रिश्तों में हो बस सादगी !
कह दूँ तुमसे सब बेहिचक
करुँ बातें सारी बेसबब
बातों का ओर न छोर हो
झगड़ा जो हो घनघोर हो...
फिर बेहिचक हो जाए एक
जैसे झगड़ा हो कोई ब्रेक!
ऐसे ही रिश्ते टिकते है
जो बेहिचक ही लिखते है
एक-दूजे को गालियाँ
और दें बात-बात पर तालियाँ !
रिश्तों से 'हिचक' निकाल दो
बस बेशुमार तुम प्यार दो....
अपनेपन का व्यवहार दो...
बस जिंदगी संवार दो !!!

रविवार, 17 दिसंबर 2023

पापा ❤️

 मुश्किलों में जब भी पलटकर देखता हूँ
मेरे पीछे खड़े,आप नज़र आते है!
नहीं है आप,मगर साये की तरह
हम आपको अपने,करीब पाते है!
दुनिया हमदर्दी जताती है सिर्फ
"दर्द" तो बस "पापा" समझ पाते है!
आपकी तस्वीर मैं देखता नहीं
बेसबब बस आँसू निकल आते है!
जब होते है तो कद्र करते नहीं
नहीं होते है तो बस पछताते है!
बाप की सख़्ती का जो मर्म न समझे
वो नादाँ जिंदगी को कहाँ समझ पाते है !

धीरे -धीरे ख़ामोशी से....

 सब कुछ होता है
धीरे -धीरे ख़ामोशी से...

कतरा - कतरा उड़ती है बुँदे
तिनका -तिनका कचरा बनती
पूरी नदी खा जाते है हम
समंदर भी खा जाएँगे
धीरे -धीरे ख़ामोशी से...

धीरे-धीरे धंसती है मिट्टी
थोड़ा-थोड़ा कटता है परबत
एक-एक पेड़ करके
पूरा जंगल निगल जाएँगे
धीरे -धीरे ख़ामोशी से...

मिट जाएँगे रिश्ते सारे
कट जाएँगे दोस्त सारे
वर्चुअल कितने होंगे हम
देखना परिवार मिट जाएँगे
धीरे -धीरे ख़ामोशी से...

पहले थोपेंगे अपने
मीठे-सीधे विचार
फिर गुलदस्ते से एक -एक
फूल निकाले जाएँगे
धीरे -धीरे ख़ामोशी से...

फिर भर देंगे वें
आपको गर्व से
इतिहास के अबोध
बोध से मिलवाएंगे
धीरे -धीरे ख़ामोशी से...

फिर सरकेंगी एक-एक ईंट
दरकेंगा धीरे-धीरे घर
सिर्फ ऊँगली पर स्याही लगाकर
सेल्फी खिंचवाते रह जाएँगे
पर देखना....
ये सब कुछ होगा...
धीरे -धीरे ख़ामोशी से....
लोकतंत्र का उत्सव
ख़त्म होगा....
श....श.... चुप रहिए....
ये सब होगा
धीरे-धीरे खामोशी से....
क्योंकि..
सब कुछ होता है...
ऐसे ही...
धीरे -धीरे ख़ामोशी से!

मंगलवार, 17 अक्तूबर 2023

बस कोई रात में सोने न पाए!

 मुझे रात से शिकायत है
तुमसे भी ज्यादा....
छीन लेती है मुझसे तुम्हें
कर देती है मुझे आधा....
मुझे नींद से गिला है
आती ही क्यों है...
तुम्हें मुझसे छीन जाती ही
क्यों है...
चलो... ऐसा करो तुम
मुझे ख़्वाबों में मिलना...
पर प्लीज वहाँ चुप न रहना
जरा खिलना...
खूब बतियाना रात भर
आठ घंटे....
सोते - सोते भी रहना
मुझे में खोते...
इतना चाहती हूँ...
डूब जाना मुझ-ही-में...
हटे जब मोबाईल की
स्क्रीन से नज़रे...
मुझसे भी नज़रे
मिलाया करो जी...
दिन भर तो दूर ही
रहते हो मुझसे
रात को मेरी बाहों में
आया करो जी...
पर रात के लम्हें
बचे ही है कितने?
वो बिस्तर,वो तुम और
जगजीत की गज़ले?
पलक-झपकते ही
होती है सुबह...
फिर वहीं काम
वहीं सिलसिले है...
मुझे रात से शिकायत है इतनी
रात तुम थोड़ी
लंबी क्यों नहीं हो...
क्या रुक नहीं सकता...
ये चाँद ये अंधेरा...
क्या हो नहीं सकता ये रिश्ता
और गहरा...
आसमां की स्याह चादर
अनंत है कितनी...
पर रात छोटी है
रुमाल जितनी....
बस...
तुम मेरी रूह में उतर जाओ
दिन है या रात सब भूल जाओ
एक ऐसी शब से
नवाज़ों मुझे तुम
जिसकी कोई सुबह ही नहीं हो!
मुझमे कुछ ऐसे समा जाओ
अब तुम,लगे बस मैं हूँ...
तुम कहीं नहीं हो!
फिर मेरे अंदर से आवाज़ देना
न तुम खुद सोना
न मुझे सोने देना!
बस रात की मस्ती में
कहीं खो - से जाना
और...
कहना 'रात' से,'दिन'
हो न जाना...
बस इतनी शिकायत मुझे रात से है
तुम्हें मुझसे छीनकर...
'दिन' देती है...
मेरे हिस्से के लम्हें
गिन - गिन देती है!
मुझे अब ऐसी रात ला दो
जिसकी सुबह ही होने न पाए....
मुझे रात से मुहब्बत बहुत है.....
बस कोई रात में सोने न पाए!

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

आँखों से ह्रदय का श्रृंगार करो

 मैंने वैसे ही प्यार तेरा मिस किया

तूने जैसे ही होठो को किस किया

आत्मा मरी,मै,बन गई शव 

मिट गया सारा eternal love!

वो जो आत्मा का प्यार था वो मर गया

साला sex सारा ताम - झाम कर गया!


मै तो चाहती थी प्यार जो आँखों में रहें

मै तेरी और तू मेरी बातों में रहें

हाथ तेरा सदा मेरे हाथों में रहें

मेरे ख्वाब बस तेरी-ही रातों में रहें


कैसे physical - physical प्यार हुआ

लोग बोलते है उनको बार-बार हुआ

पर सोचो जिसको तुम बोलते हो

प्यार है वो?

या के बस नंगी तलवार है वो?


प्यार हुआ,प्यार हुआ,प्यार हुआ

साला आदमी प्यार में गद्दार हुआ

रूप-रंग जो देखे वो प्यार कहाँ

जो देखें बस मन को,वो प्यार कहाँ?


प्यार करो, प्यार करो,प्यार करो

बदन के उस पार, बार-बार करो

छू लो मन को,न तन को दुश्वार करो

आँखों से ह्रदय का श्रृंगार करो 

ऐसा प्यार एक बार नहीं

सौ बार करो 🔥

आदमी की जात

 मैंने कुत्ते,कुत्ते बहुत सारे देखे

साले जितने भी देखे,बड़े प्यारे देखे

आदमी की जात साली कुत्ते की जात

बोलने से पहले देखी नहीं औकात

कुत्ते की जात है ईमान-वाली

करते है दिन-रात सारे रखवाली

दे दो आदमी को चाबी ख़ज़ाने की

साला बेच देंगा अपने ईमान को भी

अच्छे दिन के वादों का भरोसा दिया

साला आदमी नें आदमी को लूट लिया

बोलता कुछ है,साला करता कुछ है

इसकी ज़बान का भरोसा नहीं कुछ है

बोलते हो साला "कुत्ता आदमी" है

दिमाग़ में साले तुम्हारे कुछ कमी है

आदमी में कुत्ते का कौनसा गुण है

हरामिपने में साला निपुण है

कुत्ते नें कभी किसी को धोखा दिया क्या?

बेईमान बोलने का मौका दिया क्या?

फिर भी तुम आदमी को कुत्ता बोलते हो

कुत्ते की इज़्ज़त को हल्के में तौलते हो

सोच समझ के बोलो कुत्ता - "आदमी है"

आदमी की हैसियत कुत्ते से बहुत कम है

कुत्ते के ईमान में अभी भी दम है!

कुत्ता नहीं...

आदमी कुत्ते से कम है 🤘