गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023

मोहब्बत से क्रांति

 *मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी*

बुझी उम्मीदों को यही जगाएगी
अहसासों को यही सुलगाएगी
आँसूओं को पलकों पर रुकाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

मज़बूरों को हाथ ये थमाएगी
मजलूमों को भी यही उठाएगी
सितम सारे यही रुकवाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

नफरतों को भी यही मिटाएगी
गले लगना भी सिखाएगी
सब एक है,ये भी बतलाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

रूठें यारों को मिलाएगी
गमों को भी,सभी भुलाएगी
रिश्तों में यही मिठास लाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

भगतसिंग अब यही बनाएगी
बापू की भूली दास्ताँ भी सुनाएगी
आज़ादी का परचम यही लहराएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

ज़ख्म सारे एक दिन भर जाएगी
दुःखो को सारे यही निगल जाएगी
दर्द सभी ये,पिघलाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

राधा-कृष्ण में दिख जाएगी
सीता-राम में भी,नज़र आएगी
समर्पण भी यही सीखलाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

सत्ताधिशों से यही टकराएगी
मठाधिशों को भी यही झुठलाएगी
लोकतंत्र को भी बचा ले जाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

जमाने को एक दिन यही,दिखलाएगी
झूठ को क़दमों पर झुकाएगी
डंका भी सच का यही बजवाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

सारे युद्धों को भी यही रुकवाएगी
शमशीरों को भी यही झुकवाएगी
फिर मुस्कानों पे ये बहुत इतराएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

बुलडोज़रों से भी टकराएगी
गोदी-मिडिया को भी झुकाएगी
नेताओं से ये,सच बुलवाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

जादू सारे ये कर जाएगी
नज़रों से सितम ढाएगी
जुल्फों में उलझ जाएगी
पलकों पे निखर जाएगी
हँसी जैसी बिखर जाएगी
देखना बात बन जाएगी
मुझे पता है....
सिर्फ....
*मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी*

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023

प्यार की तलाश

 मेरी माँ ने जब जनम दिया तब बड़ी सर्दी थी
धूल की चादर माँ ही मफलर बनती थी
सभी भाई-बहन हम मिलकर दूध ढूंढ़ते थे
माँ भूखी थी दूध नहीं दें सकती थी!

गिरते-पड़ते हम निकले तलाश में खाने की
पर पड गई आदत खाना नहीं,गालियाँ खाने की
हम देसी थे,पर अंग्रेजी में "स्ट्रीट डॉग" थे
हमें नहीं इज़ाज़त थी घर में आ जाने की!

हमारी सड़क के उस पार कलेक्टर बंगला था
उसमें लगा एक बड़ा - सा जंगला था
रहते थे वहाँ हस्की-बोस्की डॉगी प्यारे
हम इस पार अपनी ही किस्मत के मारे!

एक दिन प्यार से दुम हिलाते उस पार गया
कलेक्टर साहब के पैरों को चाट लिया
ऐसा उछाला मुझको जैसे फुटबॉल कोई
"ब्लडी गावरानी डॉग" आवाज़ हुई!

क्यों सब बाहर-बाहर सुंदरता को जपते है
हम ही तो सूनी सड़को की रक्षा में खपते है
नहीं घुसने देते मोहल्ले में अजनबियों को
क्यों देखती है दुनिया बाहरी कमियों को?

दिल हमारा भी उतना ही कोमल होता है
वफ़ादारी का जरा न हममें तोटा है
आप की ख़ातिर हम भी मर-मिट सकते है
प्यार से देखिए दिल हम भी जीत सकते है!

पर हम सिर्फ गन्दी गालियों में ही आते है
गली के कुत्ते - गावरानी कहलाते है
हमें मौका कहाँ मिला परिवार में आने का
सहा हमने गम,बस दुत्कारे जाने का!

उस पार कलेक्टर की बच्ची बड़ी प्यारी थी
उसके दिल में ममता बहुत ही सारी थी
चुपके से हमको बिस्किट वो खिलाती थी
अम्मा पीछे से अक्सर डांट लगाती थी!

एक दिन ऐसे ही गुड़िया खाना लाई थी
आजा-आजा कहकर आवाज़ लगाई थी
मै गया दौड़कर प्यार में उसके तेजी से
पर आ गई एक "बस" मुझसे भी तेजी से!

किस्सा ख़त्म!
दौड़ प्यार की ख़त्म हुई!
बस,
ऐसे ही हम खप जाते है....
भूख से प्यार की जंग तक नैन बिछाते है....
दुनिया कहती है...
सड़क के कुत्ते....
कुत्ते की मौत मर जाते है 😒

-अमित अरुण

एक तरफ

 *एक तरफ*

चांदी-सोना एक तरफ है,उसका होना एक तरफ
एक तरफ है आँखें उसकी,जादू टोना एक तरफ

ताजमहल की शानो शौकत,शीश महल की जादूगरी
एक तरफ है सारा-सबकुछ,उसका कोना एक तरफ

सारी दुनिया करें साजिशें,तोड़के मुझको छोड़ने की
एक तरफ है,सारा ज़माना,तेरा होना एक तरफ

तेरी-मेरी प्रेम कहानी,अजब-अनूठा किस्सा है
तू और मै हूँ एक तरफ और मजनू-लैला एक तरफ

तेरी गली,तेरा कमरा,तेरी खिड़की से झाँकती तू
तेरी झलक ये एक तरफ है,सारी दुनिया एक तरफ

चल रही थी कल बातें परियों की शहजादी की
सारी कथाएं एक तरफ है,तेरा किस्सा एक तरफ

नाम भी मेरा नहीं जानती,बस,बस में मिलते है हम
रिश्ते नाम के रह गए सारे,तुझसे रिश्ता एक तरफ

जो तू हँसकर कह देती है,तीखी,कड़वी,नीम-सी बात
सारी बातें एक तरफ है,तेरा कहना एक तरफ

शनिवार, 18 फ़रवरी 2023

❤️मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी❤️

 *मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी*

बुझी उम्मीदों को यही जगाएगी
अहसासों को यही सुलगाएगी
आँसूओं को पलकों पर रुकाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

मज़बूरों को हाथ ये थमाएगी
मजलूमों को भी यही उठाएगी
सितम सारे यही रुकवाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

नफरतों को भी यही मिटाएगी
गले लगना भी सिखाएगी
सब एक है,ये भी बतलाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

रूठें यारों को मिलाएगी
गमों को भी,सभी भुलाएगी
रिश्तों में यही मिठास लाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

भगतसिंग अब यही बनाएगी
बापू की भूली दास्ताँ भी सुनाएगी
आज़ादी का परचम यही लहराएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

ज़ख्म सारे एक दिन भर जाएगी
दुःखो को सारे यही निगल जाएगी
दर्द सभी ये,पिघलाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

राधा-कृष्ण में दिख जाएगी
सीता-राम में भी,नज़र आएगी
समर्पण भी यही सीखलाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

सत्ताधिशों से यही टकराएगी
मठाधिशों को भी यही झुठलाएगी
लोकतंत्र को भी बचा ले जाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

जमाने को एक दिन यही,दिखलाएगी
झूठ को क़दमों पर झुकाएगी
डंका भी सच का यही बजवाएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

सारे युद्धों को भी यही रुकवाएगी
शमशीरों को भी यही झुकवाएगी
फिर मुस्कानों पे ये बहुत इतराएगी
मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी

जादू सारे ये कर जाएगी
नज़रों से सितम ढाएगी
जुल्फों में उलझ जाएगी
पलकों पे निखर जाएगी
हँसी जैसी बिखर जाएगी
देखना बात बन जाएगी
मुझे पता है....
सिर्फ....
*मोहब्बत से ही तो क्रांति आएगी*

रविवार, 12 फ़रवरी 2023

तलाश-ए-मोहब्बत 💔

 मेरी माँ ने जब जनम दिया तब बड़ी सर्दी थी
धूल की चादर माँ ही मफलर बनती थी
सभी भाई-बहन हम मिलकर दूध ढूंढ़ते थे
माँ भूखी थी दूध नहीं दें सकती थी!

गिरते-पड़ते हम निकले तलाश में खाने की
पर पड गई आदत खाना नहीं,गालियाँ खाने की
हम देसी थे,पर अंग्रेजी में "स्ट्रीट डॉग" थे
हमें नहीं इज़ाज़त थी घर में आ जाने की!

हमारी सड़क के उस पार कलेक्टर बंगला था
उसमें लगा एक बड़ा - सा जंगला था
रहते थे वहाँ हस्की-बोस्की डॉगी प्यारे
हम इस पार अपनी ही किस्मत के मारे!

एक दिन प्यार से दुम हिलाते उस पार गया
कलेक्टर साहब के पैरों को चाट लिया
ऐसा उछाला मुझको जैसे फुटबॉल कोई
"ब्लडी गावरानी डॉग" आवाज़ हुई!

क्यों सब बाहर-बाहर सुंदरता को जपते है
हम ही तो सूनी सड़को की रक्षा में खपते है
नहीं घुसने देते मोहल्ले में अजनबियों को
क्यों देखती है दुनिया बाहरी कमियों को?

दिल हमारा भी उतना ही कोमल होता है
वफ़ादारी का जरा न हममें तोटा है
आप की ख़ातिर हम भी मर-मिट सकते है
प्यार से देखिए दिल हम भी जीत सकते है!

पर हम सिर्फ गन्दी गालियों में ही आते है
गली के कुत्ते - गावरानी कहलाते है
हमें मौका कहाँ मिला परिवार में आने का
सहा हमने गम,बस दुत्कारे जाने का!

उस पार कलेक्टर की बच्ची बड़ी प्यारी थी
उसके दिल में ममता बहुत ही सारी थी
चुपके से हमको बिस्किट वो खिलाती थी
अम्मा पीछे से अक्सर डांट लगाती थी!

एक दिन ऐसे ही गुड़िया खाना लाई थी
आजा-आजा कहकर आवाज़ लगाई थी
मै गया दौड़कर प्यार में उसके तेजी से
पर आ गई एक "बस" मुझसे भी तेजी से!

किस्सा ख़त्म!
दौड़ प्यार की ख़त्म हुई!
बस,
ऐसे ही हम खप जाते है....
भूख से प्यार की जंग तक नैन बिछाते है....
दुनिया कहती है...
सड़क के कुत्ते....
कुत्ते की मौत मर जाते है 😒

-अमित अरुण