रविवार, 15 अक्तूबर 2017

नेताजी

तुमसे पहले भी ये दुनिया थी,तुम्हारे बाद भी रहेंगी
फिर भी मैं हैरां हूँ ,तुम खुद को खुदा समझते हो !!

चंद  मरहम शब्दों के और वादों की चाशनी
बस "भाषण" देकर खुद को रिहा समझते हो !!