बुधवार, 11 अप्रैल 2018

आस्था के ताबूत में आखिरी किल

पहले तो होते थे सुनसान सड़क पर...
जंगल या बिहड़ में...
कुछ घिनौने अपराध !!!
तब भी  सोचता था मैं कि
अगर ईश्वर है तो ये सब क्यों???
यदि वो सर्वशक्तिमान,सर्वव्यापी है तो
क्यों नहीं करता सर्वनाश पापियों का???
क्यों देखता रहता है सब घटते हुए
जो जाहिर है किसी भी तर्क से सही
नहीं ठहराया जा सकता...
और अब जब मंदिर की चौखट पर ही
बाकायदा पूजा-पाठ करके...
ईश्वर को साक्षी रखकर
किये जाते है मासूमों और
मजलूमों पर जुल्म
और अपराध ऐसे कि रूह काँप जाए
तब भी ईश्वर पत्थर में जकड़ा रहा
जाने छटपटाया भी कि नहीं????
क्या यही उस सर्वशक्तिमान की
आस्था का हासिल है ???
नहीं ...
ये ईश्वर के प्रति आस्था के
ताबूत में आखिरी किल है ...
ये ईश्वर के प्रति आस्था के
ताबूत में आखिरी किल है ...



आस्था के