रविवार, 23 अप्रैल 2017

"प्यार तुम्हारे बिना"

"प्यार तुम्हारे बिना"

मुझे मोहब्बत है तुमसे ......
बेसाख़्ता मोहब्बत , शाश्वत प्यार ......
पता नहीं तुम्हें है कि नहीं ???
मैं जानना भी नहीं चाहता।
क्योंकि ......
ये मेरा हक़ है कि
मैं तुमसे प्यार करूँ।
तुम्हारा opinion मेरे लिये
कोई मायने नहीं रखता ......
क्योंकि , तुम ना भी कहोंगीं
तो ये दिल मानेंगा थोड़े ही ......
और शाश्वत प्यार के लिए
मुझे तुम्हारी जरूरत भी नहीं !
तुम्हारी यादें ही काफी है ......
क्योंकि, प्यार उस जिस्म
से क्या करना
जो नश्वर है !
प्यार तो हमेशा था , अब भी है
सदा ही रहेंगा ......
तो क्या फर्क पड़ता है
के उसमे तुम हो या नहीं।
पर ना होकर भी तुम
सदा ही रहोंगीं
यादों में ......
बोलो मेरी यादों पर
क्या तुम अधिकार करोंगी ???
बोलो "सजकर" कहीं और
क्या मुझसे प्यार करोंगी ......
बोलो "सजकर" कहीं और
क्या मुझसे प्यार करोंगी ......