सोमवार, 1 दिसंबर 2014

बिखर गए जस्बाद!!

कितने  आँसू पी गयी , मैं अंदर-अंदर आज
टूट गयी हूँ अंदर से , बिखर गए जस्बाद।।

प्यार के दोहे !!

कितने किस्से प्यार के , हुए यहाँ कुर्बान
जाती - धरम के नाम पर , बँट गए सब इंसान।।

तेरा-मेरा साथ था , बस इतना ही जाना
अपने प्यार के बीच में हाय, जाती-धरम का आना ।।

जाने क्यों ये जाती -धरम , इतना दूर ले जाते
दो प्यार करने वालों को , क्यों पास नहीं ला पाते ।।

तेरे हाथ में हाथ मेरा , सदियों का संसार
इतनी जल्दी छूट गया , टूटा -बिखरा प्यार ।।

तेरी-मेरी भावना , हो गयी एकाकार
जाने कैसे जुड़ गए, दिल से दिल के तार ।।

तुझ पर आकर प्यार का , किस्सा हुआ तमाम
लुट गए तेरे प्यार में ,छूटे सारे काम ।।











दिल का झरोख़ा !!!

सोचता हूँ कभी-कभी.......
काश के दिल झरोख़ा होता .......
तो झाँक लेते,ताँक लेते .......
क्या चल रहा है, जान लेते .......
क्या होता गर दिल
किसी 'डिजीटल स्क्रीन'  की
तरह होता .......
जहाँ फ़्लैश होते रहते 'मैसेज'
जो दिल के अंदर चल रहे है .......
क्या होता गर ऐसा होता ???
क्या फिर सब अच्छा -अच्छा ही सोचते ?
दिख जाने का डर जो होता !!!!
फिर तो मेरी मौज होती ,
पढ़ लेती तुम भी दिल को .......
झाँक लेती मन मे मेरे .......
ताँक  लेती  चेहरा मेरा .......
जान लेती प्यार मेरा .......
जो मैं कह नहीं पाया हूँ .......
काश दिल एक 'खिड़की' होता .......
काश मन के मैसेज सारे .......
'डिजीटल स्क्रीन' पर चलते रहते .......
मैं तुम्ही को पढता रहता .......
तुम भी मुझको पढ़ते रहते !!!!

ज़िन्दगी......

ज़िन्दगी एक बेमिसाल मौका है ……
कुछ कर दिखाने  का !
खुद को आज़माने का !!
अपनी हस्ती बनाने का !!!
बस……छा जाने का !!!!