रविवार, 4 मार्च 2018

"लोकतंत्र"

"लोकतंत्र"

आइये आँखें खुली रखकर
वो देखते है ,जो दिख नहीं रहा है
वो पढ़ते है, जो अख़बार लिख नहीं रहा है
समझते है भाषणों के पीछे छुपे सत्य को
सुनते है जरा अनकहे कथ्य को
टटोलते है ख़बरों के पीछे छिपे तथ्य को
वर्ना पता नहीं कब कैसे.......
हमसे हमारा "लोकतंत्र" छीन जायेंगा
फिर लकीर पीटने के सिवा
कोई और ऑप्शन नहीं रह जायेंगा
फिर लकीर पीटने के सिवा
कोई और ऑप्शन नहीं रह जायेंगा


मैं दुःख हूँ

कह दिया मौत से, जा मैं नहीं मरता
क्या करूँ मेरा तुझसे जी नहीं भरता !!!
मैं दुःख हूँ ,तूने मुझे अपनाया नहीं
वर्ना सच कहूँ,मैं तेरी आँखों झरता !!!

गुरुवार, 1 मार्च 2018

"माँ"

बड़ी शिद्दत से सोचा था, कि सब रिश्ते मिटा दूँगा
बस इक फाईल है "माँ" नाम की,जो डिलिट नहीं होती।
कितनी रिलीज हुई है जिंदगी के, परदे पे लड़कियाँ
"माँ" के बाद कोई फिल्म लेकिन हिट नहीं होती।