शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

कुछ बारिशें उसके नाम!!



कुछ बारिशें उसके नाम :

तेरी कंचन काया पर , बूँदें ओस-कँवल
टिकी जो तेरी पलकों पर , बन गई गंगाजल

छाता लेकर तुम चली , हौले-हौले पाँव
कुछ भीगी और कुछ सूखी, जैसे धूप और छाँव

पानी आग लगाता है, सच होती ये बात
भीगे-भागे मौसम में , तेरा-मेरा साथ

शफ्फाक़ बदन पर बूँदें समेटें, तू खुद में सकुचाई
और ऐसे में मेरी नज़रें , तुझसे करे लड़ाई

भीगे- भागे अंग पर , बूँदें खेलें-खेल
हाय ! बारिश की बूंदों का,उन कपड़ों से मेल 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें