शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

काफिर!




ग़ालिब शराब पीने दे , मस्जिद में बैठकर
या वो जगह बता, जहाँ खुदा नहीं......
(मिर्ज़ा ग़ालिब)

मस्जिद खुदा का घर है , पीने की जगह नहीं
काफ़िर के घर में जा, वहाँ खुदा नहीं......
(अल्लामा इकबाल)

काफिर के दिल से आया हूँ ,मैं ये देखकर
खुदा मौजूद हैं वहाँ , उसे पता नहीं......
(अहमद फ़राज़)

काफिर किसे कहते हो, इन्सां है सब यहाँ
कण-कण में बसता है खुदा, तुम्हे पता नहीं......
(अमित साहू)

1 टिप्पणी:

  1. सजदे मे सरकार के झुकने से क्या हासिल
    तुम झुके,सर झुका मगर जो दिल झुका नहीं ।

    जवाब देंहटाएं