शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

मित्र !!



गुलाब,कस्तूरी,लोबान, इत्र - क्या है तू ?
खुशबू का बदन लिये, मेरी मित्र - क्या है तू ?

तुझे देखकर आँखें पाकीजा हो जाती है
गंगा, यमुना या आकाशगंगा पवित्र - क्या है तू ?

तेरे होने से क्यों ख़ुशी सी महसूस करता हूँ
उज्वल,खुशनुमा, अनसुलझा चरित्र - क्या है तू ?

तेरी इक तस्वीर में सारे रंग कुदरत के
खुदा के कैनवास पर बना चित्र - क्या है तू ?

विनम्र , करुणामयी, ममता की मूरत
इन्सान है या संत , ऐ सतचरित्र - क्या है तू ?

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