लम्हों में सदियाँ .......
शुक्रवार, 28 नवंबर 2014
ज्ञानप्रकाश विवेक - बारिश !
"
खड़ा हूँ इस तरह ख़ामोश
,
इस तरह तन्हा
,
कि जैसे शहर का अंतिम मकान होता है
,
तुम्हारे वास्ते बारिश ख़ुशी की बात सही
,
हमारी छत के लिए इम्तहान होता है......!"
(ज्ञानप्रकाश विवेक)
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