दिल में कितना
दर्द समेटें,इस दुनिया से
लड़ते अब्बा
बंद जुबाँ ,पर आँखें खोले;इन चेहरों को पढ़ते अब्बा
घर चलाने की जुगत में,अन्दर-अन्दर घुल जाते
कितना सारा बोझ समेटें,कदम-कदम बढ़ते अब्बा
लड़कर नरक जैसी दुनिया से,घर को स्वर्ग बना देते
बच्चों की खातिर ख्वाबों को,जरा-जरा गढ़ते अब्बा
बैठाकर कान्धों पर मुझको,सैर जहाँ की करवाते
दूर पहाड़ी के मंदिर की,सीढी पर चढ़ते अब्बा
हर मुश्किल में मेरे पीछे,संबल बनकर खड़े रहे
मेरे ख्वाबों की तस्वीरें,हाथों से मढ़ते अब्बा
ये जो आँसू इन पलकों पर,छलक-छलक कर ढलक रहें
पल-पल,पल-पल,पल-पल;याद तुम्हे करते अब्बा
क्यों ऐसे ही चले गए थे,तोड़ के सारे बंधन तुम
आ जाओ ना, 'हीरो' हो तुम;आसमाँ से उड़के अब्बा
बंद जुबाँ ,पर आँखें खोले;इन चेहरों को पढ़ते अब्बा
घर चलाने की जुगत में,अन्दर-अन्दर घुल जाते
कितना सारा बोझ समेटें,कदम-कदम बढ़ते अब्बा
लड़कर नरक जैसी दुनिया से,घर को स्वर्ग बना देते
बच्चों की खातिर ख्वाबों को,जरा-जरा गढ़ते अब्बा
बैठाकर कान्धों पर मुझको,सैर जहाँ की करवाते
दूर पहाड़ी के मंदिर की,सीढी पर चढ़ते अब्बा
हर मुश्किल में मेरे पीछे,संबल बनकर खड़े रहे
मेरे ख्वाबों की तस्वीरें,हाथों से मढ़ते अब्बा
ये जो आँसू इन पलकों पर,छलक-छलक कर ढलक रहें
पल-पल,पल-पल,पल-पल;याद तुम्हे करते अब्बा
क्यों ऐसे ही चले गए थे,तोड़ के सारे बंधन तुम
आ जाओ ना, 'हीरो' हो तुम;आसमाँ से उड़के अब्बा
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