शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

कह दो प्रिये , मुझपर तुम्हे विश्वास है ना !!!




सबने मेरी क्षमताओं को कमतर है  माना
जानता   हूँ  मैं  क्या  है  मेरा      ठिकाना
थोडा     ऊँचा     उड़ने की ये प्यास है ना
कह दो प्रिये , मुझपर तुम्हे विश्वास है ना


चाहता    हूँ     मैं   तुम्हारा  साथ  हरदम
चाहता हूँ लिखूं शोलों पे दास्ताने  शबनम  
कितनी  असंभव-सी ये  मेरी आस है  ना
कह दो प्रिये , मुझपर तुम्हे विश्वास है ना


अपने लिए जी कर करे जीवन को छोटा
मुश्किल   है मेरे   लिए  ऐसा  समझौता
तुम   कहो  सच्चा मेरा  अहसास  है  ना
कह दो प्रिये , मुझपर तुम्हे विश्वास है ना


तुम  धरा  पर  आई  सिर्फ  मेरे लिए हो
क्या फर्क जो न संग हमने फेरे लिए हो
अपना  ये  रिश्ता   कुछ  तो  ख़ास  है ना
कह दो प्रिये , मुझपर तुम्हे विश्वास है ना

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