रविवार, 14 सितंबर 2014

बारिश की हर बून्द मुझे, अब लगती है ख़ास
तेरे संग ये बारिशें , शबनम - सा अहसास !!!


बारिश की बूंदें कहें , आ जमाएँ महफ़िल
मैं तो छत पर आ गया ,तू भी आकर मिल !

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