शनिवार, 19 मई 2012

अमावस में चाँद की खबर लिख रहा हूँ.......

:अमावस में चाँद की खबर: रचनाकार : अमित सर:


अमावस में चाँद की खबर लिख रहा हूँ
तुझे देखा था वो नजर लिख रहा हूँ
 
तेरे साथ बिताये लम्हों में सदियाँ हैं
मैं कागज पर सदियों का सफ़र लिख रहा हूँ
 
तेरे संग रात भी उजली - उजली लगती है
तेरे दम से मै रात को सहर लिख रहा हूँ
 
पहले तो रहता था मै एक मकान में
आज उस मकान को मैं घर लिख रहा हूँ
 
तेरे शब्द मीठे है , शहद की तरह
इनके बाद हर चीज को जहर लिख रहा हूँ
 
दर्द भी अब मुस्कुराते से लगते है
छूकर के तुझको इस कदर लिख रहा हूँ
 
मेरी गजलों में अँधेरे भी जगमगाते है
तेरी संगत में इतना प्रखर लिख रहा हूँ

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