रविवार, 14 दिसंबर 2025

बाबा दिल के पास ❤️

 बाबा दिल के पास हैं जितने, दूजा ना कोई,
बाबा से ही जागी है, जो थी किस्मत सोई।
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खाटू वाले बाबा, तेरी अलख जगाई है,
दुनिया छोड़ी सारी, तुमसे प्रीत रचाई है।
नतमस्तक होकर खुद को चरणों में डाला है,
बस हमने भक्ति की ये ही रीत निभाई है।
अब तो हमारी हस्ती बाबा, तुममें है खोई,
बाबा दिल के पास हैं जितने, दूजा ना कोई।
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दुःख सारे जीवन के हर लो, बाबा श्याम हमारे,
इस जग के हारे के बाबा, अब हो तुम ही सहारे।
राह तुम्हारी तकता हूँ, बस एक झलक दिखला दो,
कुछ तो अपने होने के हमको भी दे दो इशारे।
सिर्फ तुम्हारी आस में बाबा, आँखें हैं रोई,
बाबा दिल के पास हैं जितने, दूजा ना कोई।
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महाबली, महादानी बाबा श्याम हमारे हैं,
दे हारे का साथ — ये बाबा कितने प्यारे हैं।
डूब के इनकी भक्ति में भवसागर पार करो,
जितने ये है हमारे, उतने ही ये तुम्हारे हैं।
बाबा की भक्ति में हमने रूह ये भिगोई,
बाबा दिल के पास हैं जितने, दूजा ना कोई।
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जाति–भेद न माने बाबा, तीन–बाण–धारी,
नीला घोड़ा — टक–टक–टक–टक — शान की सवारी।
कलयुग के पापों का अब तो करने हिसाब सारा,
बाबा बनकर आए हैं,खुद बाँके–बिहारी।
हमने भी अब श्याम–नाम की धुन है पिरोई,
बाबा दिल के पास हैं जितने, दूजा ना कोई।
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बाबा के बाणों से तीनों लोक में हलचल है,
दुश्मन क्या कर लेगा, जब संग बाबा हरपल है।
अरे! आओ ज़माने वालों, मुझ पर कर लो ज़ुल्म–ओ–सितम,
मुझको क्या डर, जब बाबा ही मेरा संबल है।
बाबा श्याम की हस्ती हमने अंतर्मन में संजोई,
बाबा दिल के पास हैं जितने, दूजा ना कोई।
बाबा से ही जागी है जो थी किस्मत सोई,
हमने भी अब श्याम–नाम की धुन है पिरोई,
बाबा दिल के पास हैं जितने, दूजा ना कोई....
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बोलो...
*युद्ध साक्षी, दुर्गा उपासक, खाटू नरेश, तीन बाण धारी, हारे के सहारे, कलयुग प्रणेता, कृष्णावतार, श्याम रूप, महादानी, महाबली,मोरवी-घटोत्कच पुत्र, बाबा बार्बरीक की जय* 🙏🙏🙏 *ll जय श्री श्याम ll* ❤️

- *भजन रचियता : अमित अरुण साहू*

रविवार, 9 नवंबर 2025

चंद्रकांत भैय्या के लिए

 मैं एक सफऱ हूँ जिसकी मंज़िल नहीं कोई
वर्धा से अयोध्या की व्यथा मैंने सही

परिवार में रहकर,परिवार से दूर रहा
अपनी आप बीती मैंने किसी से न कही
जिसके सबसे करीब था उसी नें तोड़ा मुझे
हालातों नें भी खूब निचोड़ा मुझे
संघर्षों में मैंने जवानी है खोई
मैं एक सफऱ हूँ जिसकी मंज़िल नहीं कोई
वर्धा से अयोध्या की व्यथा मैंने सही


जीवन के संघर्षो नें पाला है मुझे
माँ के आँचल से निकाला है मुझे
इस घर की अमानत मैं उस घर का हुआ
पर मेरे दुःख को अपनों नें न छुआ 
ममता की छाँव कैसे ओझल हुई
मैं एक सफऱ हूँ जिसकी मंज़िल नहीं कोई
वर्धा से अयोध्या की व्यथा मैंने सही

जैसे ही माँ छूटी हुआ थोड़ा बड़ा मैं
नाना गए अचानक,फिर सिर्फ लड़ा मैं
फिर संभला ही था कि टूट गया घर
कितना मुश्किल है जीवन का सफऱ
सोचता हूँ क्या मेरी किस्मत है सोई
मैं एक सफऱ हूँ जिसकी मंज़िल नहीं कोई
वर्धा से अयोध्या की व्यथा मैंने सही

पर सच कहूँ लगता है ख़रा सोना हूँ
भट्टी में तपा पक्का खिलौना हूँ
तभी तो *रामजी* परख रहें है मुझे
दुश्मन भी देखकर थक रहें है मुझे
काट रहा हूँ जाने कौन फसल बोई
क्या सचमुच...
मैं एक सफऱ हूँ जिसकी मंज़िल नहीं कोई
वर्धा से अयोध्या की व्यथा मैंने सही


नहीं,मुझे लगते है दुःख अब कम
दुःख हो या सुख अब रहता हूँ सम
दो हीरे दे दिए ईश्वर नें मुझे
जरुर रहें होंगे कोई अच्छे करम
मैंने अपनी पूंजी बच्चों में है संजोई
मैं एक सफऱ हूँ,क्या गम जो मंज़िल खोई
वर्धा से अयोध्या तक की कथा मैंने कही!
वर्धा से अयोध्या तक की कथा मैंने कही!

धर्म

राजनीति में धर्म होना चाहिए,
धर्म की राजनीति नहीं होनी चाहिए 
- अमित साहू

सोमवार, 14 अप्रैल 2025

🌼गुलफिशा💐

 लगभग हमेशा के लिए चली गई
लड़की की
अम्मा से जब पूछा....
क्या Time Machine में बैठकर
गुज़रे लम्हों की सैर करोंगी?
चाहोगी रोकना अपनी बच्ची को
दिल की सच्ची को?
हँसते हुए बोली अम्मा...
डरती थोड़े ही हूँ...
जाने देती!!
लड़ने लड़ाई सच की...
मज़लूँमों के हक़ की!
आवाज़ उठाने...
हक़ बचाने,जाने देती...
हँसते - हँसते...
कमर
कसते - कसते !
पर जैसे ही..
पलटा रिपोर्टर...
छलक गए आँसू...
जो देख नहीं पाया कोई...
माँ छलावा कर गई!
अपनी हँसी से...
बेटी के घाव भर गई!
मैं हँसती हूँ...
तुम भी हँसना...
फूलों की पंखुड़ियों-सी...
खुशियाँ बिखेरना...
"गुलफिशा"...
ना डरना...
बेटी संघर्ष करना 👊

गुरुवार, 5 दिसंबर 2024

सोमवार, 18 नवंबर 2024

बटन दबाना उसका🇮🇳

बटन दबाना उसका जिसने
*भारत आज़ाद* कराया
बटन दबाना उसका जिसने
अंग्रेज़ों को भगाया
बटन दबाना उसका जिसने
माँगी नहीं कभी माफ़ी
टेके नहीं कभी घुटने
खून से लाल करी छाती
बटन दबाना उसका जिसने
*इसरो* को बनवाया
बटन दबाना उसका जिसने
*संविधान* लिखवाया
बटन दबाना उसका जिसने
*IIT, IIM* बनाए
बटन दबाना उसका जिसने
*नवरत्न* लगवाए
बटन दबाना उसका जिसने
भारत को मज़बूत बनाया
*बटेंगे तो कटेंगे* जैसा
घटिया नारा ना लगाया
बटन दबाना उसका जिसने
भारत को एकसूत्र में बांधा
बटन दबाना उसका जिसने
*पाकिस्तान* को लाँघा
बटन दबाना उसका जिसने
बांग्लादेश आज़ाद कराया
बटन दबाना उसका जिसने
दुश्मन को झुकवाया
बटन दबाना उसका जिसने
*भींडारवाले* मरवाया
बदले में छाती को अपनी
30 गोलियों से भुनवाया
बटन दबाना उसका जिसने
*ग्लोबलइजेशन* लाया
बटन दबाना उसका जिसने
भारत को *चाँद* चुमाया
बटन दबाना उसका जिसने
*नौकरी - पेंशन* बाँटी
बटन दबाना उसका जिसने
गरीबी रेखा काटी
बटन दबाना उसका जिसने
देश में बाँटा प्यार
बटन दबाना उसका जो
कभी हुए नहीं गद्दार
बटन दबाना उसका जो
हो गए *शहीद-कुर्बान*
बटन दबाना उसका जो थे
भारत माता की शान
बटन दबाना उसका जो
मज़लूमों को गले लगाते
बटन दबाना उसका जो
*दंगे* नहीं भड़काते
बटन दबाना उसका जो
मंदिर नहीं स्कूल बनाते
बटन दबाना उसका जो
सिर्फ प्यार फैलाते
बटन दबाना उसका जो
माफ़ीवीर नहीं कहलाते
बटन दबाना उसका जो
देश के लिए मर जाते
बटन दबाना उसका जो
झोला उठाकर ना भागे
बटन दबाना उसका जो
जनता के दर्द पे जागे
बटन दबाना उसका जो
*किसान* के दर्द को समझे
बटन दबाना उसका जो
जनता की ख़ातिर तड़पे
बटन दबाना उसका जो
खोले *दुकान-ए-मोहब्बत*
बटन दबाना उसका जो
चमकाए देश की किस्मत
बटन दबाना उसका जिसमे हो
*सच* कहने की हिम्मत
बटन दबाना उसका जो
जनहित में करे *बगावत*
बटन दबाना उसका जो
ऐलान करें *हम एक है*
बटन दबाना उसका जो
बंदा दिल का *नेक* है ❤️

- अमित साहू द्वारा रचित

शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

पापा

 मुश्किलों में जब भी पलटकर देखता हूँ
मेरे पीछे खड़े,आप नज़र आते है!

दुनिया हमदर्दी जताती है सिर्फ
"दर्द" तो बस "पापा" समझ पाते है!

आपकी तस्वीर मैं देखता नहीं
बेसबब बस आँसू छलक जाते है!