सोमवार, 18 नवंबर 2024

बटन दबाना उसका🇮🇳

बटन दबाना उसका जिसने
*भारत आज़ाद* कराया
बटन दबाना उसका जिसने
अंग्रेज़ों को भगाया
बटन दबाना उसका जिसने
माँगी नहीं कभी माफ़ी
टेके नहीं कभी घुटने
खून से लाल करी छाती
बटन दबाना उसका जिसने
*इसरो* को बनवाया
बटन दबाना उसका जिसने
*संविधान* लिखवाया
बटन दबाना उसका जिसने
*IIT, IIM* बनाए
बटन दबाना उसका जिसने
*नवरत्न* लगवाए
बटन दबाना उसका जिसने
भारत को मज़बूत बनाया
*बटेंगे तो कटेंगे* जैसा
घटिया नारा ना लगाया
बटन दबाना उसका जिसने
भारत को एकसूत्र में बांधा
बटन दबाना उसका जिसने
*पाकिस्तान* को लाँघा
बटन दबाना उसका जिसने
बांग्लादेश आज़ाद कराया
बटन दबाना उसका जिसने
दुश्मन को झुकवाया
बटन दबाना उसका जिसने
*भींडारवाले* मरवाया
बदले में छाती को अपनी
30 गोलियों से भुनवाया
बटन दबाना उसका जिसने
*ग्लोबलइजेशन* लाया
बटन दबाना उसका जिसने
भारत को *चाँद* चुमाया
बटन दबाना उसका जिसने
*नौकरी - पेंशन* बाँटी
बटन दबाना उसका जिसने
गरीबी रेखा काटी
बटन दबाना उसका जिसने
देश में बाँटा प्यार
बटन दबाना उसका जो
कभी हुए नहीं गद्दार
बटन दबाना उसका जो
हो गए *शहीद-कुर्बान*
बटन दबाना उसका जो थे
भारत माता की शान
बटन दबाना उसका जो
मज़लूमों को गले लगाते
बटन दबाना उसका जो
*दंगे* नहीं भड़काते
बटन दबाना उसका जो
मंदिर नहीं स्कूल बनाते
बटन दबाना उसका जो
सिर्फ प्यार फैलाते
बटन दबाना उसका जो
माफ़ीवीर नहीं कहलाते
बटन दबाना उसका जो
देश के लिए मर जाते
बटन दबाना उसका जो
झोला उठाकर ना भागे
बटन दबाना उसका जो
जनता के दर्द पे जागे
बटन दबाना उसका जो
*किसान* के दर्द को समझे
बटन दबाना उसका जो
जनता की ख़ातिर तड़पे
बटन दबाना उसका जो
खोले *दुकान-ए-मोहब्बत*
बटन दबाना उसका जो
चमकाए देश की किस्मत
बटन दबाना उसका जिसमे हो
*सच* कहने की हिम्मत
बटन दबाना उसका जो
जनहित में करे *बगावत*
बटन दबाना उसका जो
ऐलान करें *हम एक है*
बटन दबाना उसका जो
बंदा दिल का *नेक* है ❤️

- अमित साहू द्वारा रचित

शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

पापा

 मुश्किलों में जब भी पलटकर देखता हूँ
मेरे पीछे खड़े,आप नज़र आते है!

दुनिया हमदर्दी जताती है सिर्फ
"दर्द" तो बस "पापा" समझ पाते है!

आपकी तस्वीर मैं देखता नहीं
बेसबब बस आँसू छलक जाते है!

रविवार, 7 जुलाई 2024

अब तुम्हारे बाद 💔

 लग नहीं रहा है जी,अब तुम्हारे बाद
आरज़ू बची नही,अब तुम्हारे बाद

एक तुम और फासला मिटने से रहा
सब गलत न कुछ सही,अब तुम्हारे बाद

बहुत सी थी बातें जो कहनी थी मुझे तुमसे
खुद से ही मैंने सब कही,अब तुम्हारे बाद

मुस्कुराहट छोड़कर तुम तो चली गई
बारात आंसूओं की रही,अब तुम्हारे बाद

दास्तानें दर्द की हज़ारों दिलों में थी
पर कागज़ो पे ये बही,अब तुम्हारे बाद

मुश्किल था तुम्हें समझना,अब भी नामुमकिन
पहेली-पहेली ही रही,अब तुम्हारे बाद

शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

आखिरी उम्मीद !!!

तुम भी न समझ सके मुझको
तुम आखिरी उम्मीद थे मेरी...
समझते हो आखिरी उम्मीद...
वही जिसके टूटने के बाद कुछ नहीं बचता
सब कुछ लगता है खत्म-सा
वैसे ही जैसे किसी अंजान शहर की
गुमनाम सड़क पर
घुप्प अंधेरा हो
और Dead End आ जाए
कुछ समझ नहीं आता है
दिल बैठा जाता है
आँखों में आँसू नहीं होते
होती है सिर्फ निराशा
ना-उम्मीदी,बेचैनी,दर्द,डिप्रेशन!
और...काट खानेवाला अकेलापन...
ये सब होता है...
आखिरी उम्मीद के खो जाने से
किसी के न समझ पाने से....
इसलिए अगर
बन सको तो किसी की आखिरी
उम्मीद बनो...
उसे पूरा करने की जिद बनो !
आखिरी वक़्त में दगा नहीं देते
किसी का दामन छोड़कर सज़ा नहीं देते...
उम्मीद की किरण को बुझा नहीं देते
जो नाउम्मीद हो उसे पीठ दिखा नहीं देते...
जो बैठा हो आपकी आस लगाए
उस शख्स को रुला नहीं देते !!
इसलिए जब किसी की आखिरी उम्मीद बनो
तो उसके लिए चट्टान-सा तनो...
मिट्टी-सा छनो...
दो उसे जीवन नया...
जिसने की हो तुमसे आखिरी उम्मीद...
क्योंकि आखिरी उम्मीद
इंसान से नहीं खुदा से की जाती है !
आखिरी उम्मीद
इंसान को खुदा बनाती है !!
आखिरी उम्मीद
इंसान को खुदा बनाती है !!
 

शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024

बेहिचक

रिश्ता ऐसा चाहिए
जिसमें कोई हिचक न हो...
कोई कसक न हो...
कोई ठसक न हो....
बस हो पानी-सा
निर्मल बहाव...
हो धूप-सा
चंचल स्वभाव....
हो फूलों-सी ताज़गी
न हो कोई नाराज़गी !
कोई भी ताम-झाम न हो
रिश्तों में हो बस सादगी !
कह दूँ तुमसे सब बेहिचक
करुँ बातें सारी बेसबब
बातों का ओर न छोर हो
झगड़ा जो हो घनघोर हो...
फिर बेहिचक हो जाए एक
जैसे झगड़ा हो कोई ब्रेक!
ऐसे ही रिश्ते टिकते है
जो बेहिचक ही लिखते है
एक-दूजे को गालियाँ
और दें बात-बात पर तालियाँ !
रिश्तों से 'हिचक' निकाल दो
बस बेशुमार तुम प्यार दो....
अपनेपन का व्यवहार दो...
बस जिंदगी संवार दो !!!

रविवार, 17 दिसंबर 2023

पापा ❤️

 मुश्किलों में जब भी पलटकर देखता हूँ
मेरे पीछे खड़े,आप नज़र आते है!
नहीं है आप,मगर साये की तरह
हम आपको अपने,करीब पाते है!
दुनिया हमदर्दी जताती है सिर्फ
"दर्द" तो बस "पापा" समझ पाते है!
आपकी तस्वीर मैं देखता नहीं
बेसबब बस आँसू निकल आते है!
जब होते है तो कद्र करते नहीं
नहीं होते है तो बस पछताते है!
बाप की सख़्ती का जो मर्म न समझे
वो नादाँ जिंदगी को कहाँ समझ पाते है !

धीरे -धीरे ख़ामोशी से....

 सब कुछ होता है
धीरे -धीरे ख़ामोशी से...

कतरा - कतरा उड़ती है बुँदे
तिनका -तिनका कचरा बनती
पूरी नदी खा जाते है हम
समंदर भी खा जाएँगे
धीरे -धीरे ख़ामोशी से...

धीरे-धीरे धंसती है मिट्टी
थोड़ा-थोड़ा कटता है परबत
एक-एक पेड़ करके
पूरा जंगल निगल जाएँगे
धीरे -धीरे ख़ामोशी से...

मिट जाएँगे रिश्ते सारे
कट जाएँगे दोस्त सारे
वर्चुअल कितने होंगे हम
देखना परिवार मिट जाएँगे
धीरे -धीरे ख़ामोशी से...

पहले थोपेंगे अपने
मीठे-सीधे विचार
फिर गुलदस्ते से एक -एक
फूल निकाले जाएँगे
धीरे -धीरे ख़ामोशी से...

फिर भर देंगे वें
आपको गर्व से
इतिहास के अबोध
बोध से मिलवाएंगे
धीरे -धीरे ख़ामोशी से...

फिर सरकेंगी एक-एक ईंट
दरकेंगा धीरे-धीरे घर
सिर्फ ऊँगली पर स्याही लगाकर
सेल्फी खिंचवाते रह जाएँगे
पर देखना....
ये सब कुछ होगा...
धीरे -धीरे ख़ामोशी से....
लोकतंत्र का उत्सव
ख़त्म होगा....
श....श.... चुप रहिए....
ये सब होगा
धीरे-धीरे खामोशी से....
क्योंकि..
सब कुछ होता है...
ऐसे ही...
धीरे -धीरे ख़ामोशी से!