शनिवार, 29 मई 2021

ओफ्फ हो

उसकी बातें भोली-भाली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो
कितने प्यार से बात है टाली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो

जाने क्या-क्या बोलती है,बंद होंठों के अंदर वो
मीठी लगती उसकी गाली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो

आज छूटते ही कॉलेज पलट के देखा था मुझको
इसीलिए है गाल पे लाली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो

उससे कहना आकर मिलना,आधे-आधे पूरे हो
एक हाथ से बजे ना ताली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो

खिड़की पर अक्सर आती है,बनकर दीप,सवेरा वो
बीच में आ जाती है जाली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो

कितना मुश्किल है मनवाना,पत्थर से मोहब्बत को
दाल नहीं ये गलने वाली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो

उसके श्यामल चेहरे पर,स्याह भाव के पर्दे जो
लगता जैसे रात है काली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो

क्लास में कुछ लिखते-लिखते साईड फेस का जादू और
उसपर उसके कान की बाली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो

कितनो को ना कह ड़ाला,एक तेरे हाँ की उलझन में
रह गया दिल का कमरा खाली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो

फैशन अपनी ज़ानिब चला,तेरा अपना ही जलवा है
पोशाख तेरी ढ़ीली-ढ़ाली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो

कल बोले सर क्लास में,मन पढ़ने में लगा ड़ालो
बस तेरी आँखें पढ़ डाली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो

तेरी एक झलक की ख़ातिर,घंटों गलियों के चक्कर
कैसी हमने आदत पाली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो

एक ही सपना है मेरा,मैं ऑफिस से जब घर आऊँ
सजाना तू मेरी थाली,ओफ्फ हो,ओफ्फ हो

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