शनिवार, 29 मई 2021

वो राम थे जो रावण को समझाते रहे

 कौन कहता है के तुझसे प्यार नहीं करते
वो बात और है के इज़हार नहीं करते

I love you कहना वो भी फेसबुक पर
हम कभी प्यार को इश्तहार नहीं करते

देखी थी तेरी तस्वीर एक दिन इंस्टा पर
बस तब से तस्वीरों पे ऐतबार नहीं करते

व्हाट्सप्प वाली चैट तेरी संभाल रखी है
अतरंगी बातों को अख़बार नहीं करते

ये इश्क़ है,इसको छुपाकर रखो प्यारे
मोहब्बत को ऐसे बाज़ार नहीं करते

मेरा शोना,मेरा बाबू,अरे आदमी है वो
ऐसे तो हम कुत्तों से भी प्यार नहीं करते

धीरे-धीरे सब अमीरों को सौंप देना
गरीबों को ऐसे लाचार नहीं करते

दुश्मन के खानदान से दुश्मनी निभाना
काम ऐसा कभी दिलदार नहीं करते

वो राम थे जो रावण को समझाते रहे
यहाँ दोस्त भी दोस्त को खबरदार नहीं करते

सच कहूँ यार तुम बोलते तो बहोत हो
पर बात कभी भी असरदार नहीं करते

माना के मैं समय पर नहीं आता
पर तुम भी तो मेरा इंतजार नहीं करते

मुस्कान,आँखें,अदाएँ,लहज़ा
यार ऐसे निहत्थों पे वार नहीं करते

तेरे होते अपना हर दिन त्यौहार था
अब त्यौहार पे भी त्यौहार नहीं करते

कितना लूटा इन जंगलों को हमने
अब्र अब यहाँ बौछार नहीं करते

धीरे-धीरे नदी का दम घोंट ड़ाला
अब पनघट पे घुंगरू झंकार नहीं करते

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