भगतसिंग,राजगुरु,सुखदेव तुम्हारी
फाँसी के तख़्त पर ठसक मुझे याद है
मौत के मातम को जश्न बनाना
आज़ादी की खातिर सनक मुझे याद है
विचारों का मंथन,सवाल उठाना
अब रीढ़ कहाँ रही,लचक मुझे याद है
बहरों को सुनाने के लिए बम गिराना
कान बंद पर सिक्कों की खनक मुझे याद है
इस मिट्टी की खुशबू पर मर मिटना
अब तो बस माशूक की महक मुझे याद है
ये किनके लिये जान दे दी तुमने प्यारों
देश? छोड़ो ! बस सत्ता की हनक मुझे याद है
सपने में अब भी आते हो तुम तीनों
खाया है देश का नमक मुझे याद है
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