शनिवार, 29 मई 2021

कर्जमुक्त

 एक ही साधे सब सधै
सब साधे सब जाए...
ये सोचकर मै लग गया
एक मिशन पे...
मेरे जैसे और भी थे
जो लग गए
अपने-अपने मिशन पे
सबने अपने-अपने
सपने पूरे किए!
कोई नेता बना
कोई अभिनेता
कोई सेवक
कोई स्वयंसेवक
कोई साधक
कोई शिक्षक!
सबको अपने जीवन का
उद्देश्य मिला...
अर्थ मिला जीवन का!
पर इस मिशन के
नेपथ्य में
एक जिंदगी थी
जिसने अपने सपनों
को रख दिया ताक पे...
और... हम सब के
मिशन की खातिर
अपना मिशन
छोड़ दिया अधूरा...
जिसकी तलाश में
शायद मरने के बाद भी
उसकी आत्मा भटकेगी!
उसने अपना सर्वस्व लुटाकर
मेरे मिशन में झोंक दिए
प्राण अपने
जैसा मैं खुद भी
नहीं झोंक सकता था शायद !
आप उसे सीता कह सकते है
या कस्तूरबा
या रमाई
या सावित्रीबाई!
बस....
इसीलिए मैंने आज
अपनी पत्नी के पाँव छुए है!
यकीं मानिए मैं
सचमुच खुद को बड़ा महसूस
कर रहा हूँ....
और थोड़ा सा क़र्ज़मुक्त भी
मानो गरीब किसान
साहूकार को
पहली किश्त चुकाकर आया हो
किसी बड़े क़र्ज़ की!

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