सोचता हूँ....
जब पहला कदम
बढ़ाया होगा प्रभु राम ने
वनवास का
राजा दशरथ क्या positive
सोच रहें होंगे?
क्या वो नहीं जानते होंगे
महिमा राम की
या के नहीं जानते होंगे
विधि के विधान को
क्या देख नहीं पाए होंगे
भविष्य का वो काल
जो उनके बेटे को
मानव से भगवान बनाने वाला था!
क्या जान नहीं पाए
राजा दशरथ कि
इसी वनवास के
बैकड्राप में
रामायण रची जानेवाली है!
क्या देख नहीं पाए
राजा दशरथ...
उस अमर विजय को
जिसने उनके राम को
मर्यादा पुरषोत्तम बना दिया!
क्यों राजा दशरथ...
इतनी सारी positive
बातों को छोड़कर
पुत्र वियोग में
रोते - रोते
त्याग गए प्राण!
मूर्ख थे राजा दशरथ
उन्हें सीखना चाहिए था
आज के गोदी मिडिया से
कैसे सत्ता के तलवे चाटने की
अंधी दौड़ में...
लाशों के अंबार में
Positivity ढूंढी जाती है
कैसे आँसूओं को अनदेखा कर
आँकड़ो की जादूगरी की जाती है!
कैसे भूख को मुफ्तखोरी से
जोड़ा जाता है
कैसे भाईचारे को तोड़ा जाता है!
और.... इतना सब करके भी
Positive रहा जा सकता है!
जिनके अपने चले गए
उन्हें न रोने को कहा जा सकता है!
ये रोतलू लोग
सत्ता की चमक को
अपने आँसूओं की
Negativity फीका न कर दें
इससे पहले इन्हे
Positivity की घुट्टी पिलाओ!
राजा दशरथ तुम
राम के जाने का
और देश के लोगों
तुम अपनों के
खो जाने का
वियोग न मनाओ!
सत्ता को जरूरत है positivity की
चाहे लाशों के ढेर पर खड़े होकर ही सही
Positivity फैलाओं....
मूर्खों अपनों के मरने पर आँसू मत बहाओ!
मूर्खों अपनों के मरने पर आँसू मत बहाओ!
शनिवार, 29 मई 2021
Positivity
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