यहाँ अँधेरा भी रौशनी है आज
उसने सफ़ेद साड़ी पहनी है आज
उसे छूकर के जल उठूँगा
बाती दिये की खिल उठी है आज
उसका मिज़ाज़ सबसे मिलता नहीं
पर चिट्ठी उसने मुझको लिखी है आज
मैं उसके माथे को चूमना चाहता था
माँग इसलिए उसने सूनी रखी है आज
बच्चों की कसम खाकर बोल रही थी
मोहब्बत मुझसे ही वो करती है आज
मायके से होते वक़्त बिदा,मेरे लिए
उसकी आँखें छलक रही है आज
मैं अब भी उसको भगाने तैयार हूँ
लेकिन उसमें भारतीय नारी बची है आज
जात की बलिवेदी पर प्यार को न मारो
आप लोगों से यही बात कहनी है आज
यहाँ अँधेरा भी रौशनी है आज
उसने सफ़ेद साड़ी पहनी है आज
शनिवार, 29 मई 2021
उसने सफ़ेद साड़ी पहनी है आज
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