शनिवार, 29 मई 2021

उसने सफ़ेद साड़ी पहनी है आज

यहाँ अँधेरा भी रौशनी है आज
उसने सफ़ेद साड़ी पहनी है आज

उसे छूकर के जल उठूँगा
बाती दिये की खिल उठी है आज

उसका मिज़ाज़ सबसे मिलता नहीं
पर चिट्ठी उसने मुझको लिखी है आज

मैं उसके माथे को चूमना चाहता था
माँग इसलिए उसने सूनी रखी है आज

बच्चों की कसम खाकर बोल रही थी
मोहब्बत मुझसे ही वो करती है आज

मायके से होते वक़्त बिदा,मेरे लिए
उसकी आँखें छलक रही है आज

मैं अब भी उसको भगाने तैयार हूँ
लेकिन उसमें भारतीय नारी बची है आज

जात की बलिवेदी पर प्यार को न मारो
आप लोगों से यही बात कहनी है आज

यहाँ अँधेरा भी रौशनी है आज
उसने सफ़ेद साड़ी पहनी है आज

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