कुछ बारिशें उसके नाम :
तेरी कंचन काया पर , बूँदें ओस-कँवल
टिकी जो तेरी पलकों पर , बन गई गंगाजल
छाता लेकर तुम चली , हौले-हौले पाँव
कुछ भीगी और कुछ सूखी, जैसे धूप और छाँव
पानी आग लगाता है, सच होती ये बात
भीगे-भागे मौसम में , तेरा-मेरा साथ
शफ्फाक़ बदन पर बूँदें समेटें, तू खुद में सकुचाई
और ऐसे में मेरी नज़रें , तुझसे करे लड़ाई
भीगे- भागे अंग पर , बूँदें खेलें-खेल
हाय ! बारिश की बूंदों का,उन कपड़ों से मेल
तेरी कंचन काया पर , बूँदें ओस-कँवल
टिकी जो तेरी पलकों पर , बन गई गंगाजल
छाता लेकर तुम चली , हौले-हौले पाँव
कुछ भीगी और कुछ सूखी, जैसे धूप और छाँव
पानी आग लगाता है, सच होती ये बात
भीगे-भागे मौसम में , तेरा-मेरा साथ
शफ्फाक़ बदन पर बूँदें समेटें, तू खुद में सकुचाई
और ऐसे में मेरी नज़रें , तुझसे करे लड़ाई
भीगे- भागे अंग पर , बूँदें खेलें-खेल
हाय ! बारिश की बूंदों का,उन कपड़ों से मेल
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