क्यों करती हैं यादें , परेशान कभी - कभी
आ भी जाओ ,कर दो ये अहसान कभी-कभी!!
बिछड़कर के तुमसे , दिल तड़पता है ऐसे
के लगता है जिस्म भी, बेजान कभी - कभी!!
तुममें यूँ खोना और खुद को भूल जाना
लगती हूँ खुद से ही, अनजान कभी -कभी !!
मुझे लोग तेरे नाम से जानने लगे है
अच्छी लगती है खोती हुई, पहचान कभी -कभी !!
चाहती हूँ मेरी आँखों से , तू न झलकें
पर छलक आते हैं , अरमान कभी -कभी !!
क्यों करती हैं यादें , परेशान कभी - कभी
अजीब लगती है ये शाम कभी -कभी !!
इस ग़ज़ल की पहली और आखिरी लाईन Ravina Sangtani की वॉल से ली गयी है !
आ भी जाओ ,कर दो ये अहसान कभी-कभी!!
बिछड़कर के तुमसे , दिल तड़पता है ऐसे
के लगता है जिस्म भी, बेजान कभी - कभी!!
तुममें यूँ खोना और खुद को भूल जाना
लगती हूँ खुद से ही, अनजान कभी -कभी !!
मुझे लोग तेरे नाम से जानने लगे है
अच्छी लगती है खोती हुई, पहचान कभी -कभी !!
चाहती हूँ मेरी आँखों से , तू न झलकें
पर छलक आते हैं , अरमान कभी -कभी !!
क्यों करती हैं यादें , परेशान कभी - कभी
अजीब लगती है ये शाम कभी -कभी !!
इस ग़ज़ल की पहली और आखिरी लाईन Ravina Sangtani की वॉल से ली गयी है !
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