रविवार, 14 सितंबर 2014

Baarish .... full of Romance!

पानी आग लगाता है,सच होती ये बात
भीगे-भागे मौसम में, तेरा-मेरा साथ

बारिश में भीगा दुपट्टा,लगा गले से जाकर
रख ली दो किताबें तूने,सीने से चिपकाकर

उठा दिए पर्दे बारिश ने,उस शफ्फाक़ बदन से
तह-दर-तह तू छुपा रही थी,जिसको इतने जतन से

भीगे-भागे अंग पर,बूंदे खेले-खेल
हाय! बारिश की बूंदों का,उन कपड़ों से मेल

सकल तुम्हारे रूप का, दर्शन दिया कराए
मेघों से है प्रार्थना, खूब झूमकर आए

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें