रविवार, 14 सितंबर 2014

तुम आओ न ....
मेरी जागती आँखों का सहारा बनकर
देखने मेरे दिल में .....
जो लगी तुम्हारी झाँकी है .....
बहुत कुछ है,जो तड़प रहा है अंदर
मेरी ग़ज़ल अब भी बाकी है !!!!

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