रविवार, 14 सितंबर 2014

गंगा के संगम में डुबकी लगाकर
वो तेरा भीगे कपड़ों में निकलना
गंगा - सी निर्मल पवित्र सच्चाई
वो तेरा मेरी आँखों में पिघलना

गंगा की धारा में,पत्तल के दोनें में
ज्योति जलाकर बहाई जो तूने
लगा आसमाँ के आँचल से जैसे
सितारों की टोली का गिरकर बिखरना

गंगा के तट पर या किसी घट पर
सूरज को हौले से अर्ध्य चढ़ाना
लगता है झरने गिरे परबत से
यूँ तेरे हाथों से पानी का गिरना

गंगा के संगम में डुबकी लगाकर
वो तेरा भीगे कपड़ों में निकलना

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