:सड़क: रचनाकार:अमित सर: |
उस छायादार सड़क के
दोनों किनारे .....
सायादार पेड़ हुआ करते थे .....
बड़े-बड़े ,हरे-हरे !!
उस सडक से गुजरने का अपना मजा था ....
वो धूप को ढँकती थी ....
बदन ठंडा रखती थी ....
कभी-कभी लगता था ...
सड़क एक चेहरा है ...
और , पेड़ उसकी - हेयर स्टाइल !!
बड़ी सुन्दर दिखती थी...
कुछ बड़े-बड़े दरख्त ...
एकदम हट्टे-कट्टे ...
रूआबदार ...
उसके बॉडीगार्ड लगते थे!!
पर ,एक दिन फरमान आया ...
सड़क चौड़ी करो !!!
फिर क्या था ...
ठेकेदार भीड़ गए...
सड़क का सीना चिर गए ...
सबसे पहले बाल कटे....
याने कि छोटे पेड़ हटे...
अब सड़क "गंजी" हो गयी ...
उसकी खूबसूरती खो गयी ...
लिहाजा ..सोचा गया -
अब बॉडीगार्ड का क्या काम ...
सो , बड़े दरख्त भी कटे....
सारे-के-सारे किनारों से हटें !!!
अब सडक चौड़ी हो गयी ...
पर जाने कहाँ उसकी...
सुन्दरता खो गयी !!!
पहले दिखती थी केट विंसलेट की तरह ....
सायादार पेड़ हुआ करते थे .....
बड़े-बड़े ,हरे-हरे !!
उस सडक से गुजरने का अपना मजा था ....
वो धूप को ढँकती थी ....
बदन ठंडा रखती थी ....
कभी-कभी लगता था ...
सड़क एक चेहरा है ...
और , पेड़ उसकी - हेयर स्टाइल !!
बड़ी सुन्दर दिखती थी...
कुछ बड़े-बड़े दरख्त ...
एकदम हट्टे-कट्टे ...
रूआबदार ...
उसके बॉडीगार्ड लगते थे!!
पर ,एक दिन फरमान आया ...
सड़क चौड़ी करो !!!
फिर क्या था ...
ठेकेदार भीड़ गए...
सड़क का सीना चिर गए ...
सबसे पहले बाल कटे....
याने कि छोटे पेड़ हटे...
अब सड़क "गंजी" हो गयी ...
उसकी खूबसूरती खो गयी ...
लिहाजा ..सोचा गया -
अब बॉडीगार्ड का क्या काम ...
सो , बड़े दरख्त भी कटे....
सारे-के-सारे किनारों से हटें !!!
अब सडक चौड़ी हो गयी ...
पर जाने कहाँ उसकी...
सुन्दरता खो गयी !!!
पहले दिखती थी केट विंसलेट की तरह ....
अब बेचारी राखी
सावंत हो गयी !!!
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