सोमवार, 4 जून 2012

खूब तुम्हारी याद का मौसम ,धड़कन-धड़कन चलता है ...

:खूब तुम्हारी याद का मौसम: रचनाकार : अमित सर:

खूब तुम्हारी याद का मौसम ,धड़कन-धड़कन चलता है
पलकों की सतहों के नीचे ख्वाब तुम्हारा पलता है


घर में बड़ा हूँ इस नाते से
,रो भी तो मैं नहीं सकता
आँसू मेरा अन्दर-अन्दर
, अन्दर-अन्दर जलता है

पल-पल
,पल-पल,पल-पल,पल-पल,तुमको ही है याद किया
और कहती हो तुम के मुझको साथ तुम्हारा
,खलता है

रातें कितनी लम्बी हो गयी
,खाली-खाली बिस्तर पर
दिन का क्या है
, जल्दी-जल्दी,जल्दी-जल्दी, ढ़लता है

सारे लम्हें - सारे मौसम पलक झपकते टल जाते है
पर कहाँ तुम्हारी याद का मौसम, टाले से भी टलता है

धूप के लश्कर अच्छी-अच्छी हिमशिला पिघलाते है

पर याद तुम्हारी ऐसी जमी है
,बर्फ नहीं ये गलता है

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