:खूब तुम्हारी याद का मौसम: रचनाकार : अमित सर: |
खूब तुम्हारी याद का
मौसम ,धड़कन-धड़कन चलता है
पलकों की सतहों के नीचे ख्वाब तुम्हारा पलता है
घर में बड़ा हूँ इस नाते से ,रो भी तो मैं नहीं सकता
आँसू मेरा अन्दर-अन्दर , अन्दर-अन्दर जलता है
पल-पल ,पल-पल,पल-पल,पल-पल,तुमको ही है याद किया
और कहती हो तुम के मुझको साथ तुम्हारा ,खलता है
रातें कितनी लम्बी हो गयी ,खाली-खाली बिस्तर पर
दिन का क्या है , जल्दी-जल्दी,जल्दी-जल्दी, ढ़लता है
सारे लम्हें - सारे मौसम पलक झपकते टल जाते है
पलकों की सतहों के नीचे ख्वाब तुम्हारा पलता है
घर में बड़ा हूँ इस नाते से ,रो भी तो मैं नहीं सकता
आँसू मेरा अन्दर-अन्दर , अन्दर-अन्दर जलता है
पल-पल ,पल-पल,पल-पल,पल-पल,तुमको ही है याद किया
और कहती हो तुम के मुझको साथ तुम्हारा ,खलता है
रातें कितनी लम्बी हो गयी ,खाली-खाली बिस्तर पर
दिन का क्या है , जल्दी-जल्दी,जल्दी-जल्दी, ढ़लता है
सारे लम्हें - सारे मौसम पलक झपकते टल जाते है
पर कहाँ तुम्हारी
याद का मौसम, टाले से भी टलता है
धूप के लश्कर अच्छी-अच्छी हिमशिला पिघलाते है
पर याद तुम्हारी ऐसी जमी है ,बर्फ नहीं ये गलता है
धूप के लश्कर अच्छी-अच्छी हिमशिला पिघलाते है
पर याद तुम्हारी ऐसी जमी है ,बर्फ नहीं ये गलता है
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