शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024

बेहिचक

रिश्ता ऐसा चाहिए
जिसमें कोई हिचक न हो...
कोई कसक न हो...
कोई ठसक न हो....
बस हो पानी-सा
निर्मल बहाव...
हो धूप-सा
चंचल स्वभाव....
हो फूलों-सी ताज़गी
न हो कोई नाराज़गी !
कोई भी ताम-झाम न हो
रिश्तों में हो बस सादगी !
कह दूँ तुमसे सब बेहिचक
करुँ बातें सारी बेसबब
बातों का ओर न छोर हो
झगड़ा जो हो घनघोर हो...
फिर बेहिचक हो जाए एक
जैसे झगड़ा हो कोई ब्रेक!
ऐसे ही रिश्ते टिकते है
जो बेहिचक ही लिखते है
एक-दूजे को गालियाँ
और दें बात-बात पर तालियाँ !
रिश्तों से 'हिचक' निकाल दो
बस बेशुमार तुम प्यार दो....
अपनेपन का व्यवहार दो...
बस जिंदगी संवार दो !!!

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