कितना मुश्किल है
आसान हो जाना !
बटन दबाना उसका जिसने
*भारत आज़ाद* कराया
बटन दबाना उसका जिसने
अंग्रेज़ों को भगाया
बटन दबाना उसका जिसने
माँगी नहीं कभी माफ़ी
टेके नहीं कभी घुटने
खून से लाल करी छाती
बटन दबाना उसका जिसने
*इसरो* को बनवाया
बटन दबाना उसका जिसने
*संविधान* लिखवाया
बटन दबाना उसका जिसने
*IIT, IIM* बनाए
बटन दबाना उसका जिसने
*नवरत्न* लगवाए
बटन दबाना उसका जिसने
भारत को मज़बूत बनाया
*बटेंगे तो कटेंगे* जैसा
घटिया नारा ना लगाया
बटन दबाना उसका जिसने
भारत को एकसूत्र में बांधा
बटन दबाना उसका जिसने
*पाकिस्तान* को लाँघा
बटन दबाना उसका जिसने
बांग्लादेश आज़ाद कराया
बटन दबाना उसका जिसने
दुश्मन को झुकवाया
बटन दबाना उसका जिसने
*भींडारवाले* मरवाया
बदले में छाती को अपनी
30 गोलियों से भुनवाया
बटन दबाना उसका जिसने
*ग्लोबलइजेशन* लाया
बटन दबाना उसका जिसने
भारत को *चाँद* चुमाया
बटन दबाना उसका जिसने
*नौकरी - पेंशन* बाँटी
बटन दबाना उसका जिसने
गरीबी रेखा काटी
बटन दबाना उसका जिसने
देश में बाँटा प्यार
बटन दबाना उसका जो
कभी हुए नहीं गद्दार
बटन दबाना उसका जो
हो गए *शहीद-कुर्बान*
बटन दबाना उसका जो थे
भारत माता की शान
बटन दबाना उसका जो
मज़लूमों को गले लगाते
बटन दबाना उसका जो
*दंगे* नहीं भड़काते
बटन दबाना उसका जो
मंदिर नहीं स्कूल बनाते
बटन दबाना उसका जो
सिर्फ प्यार फैलाते
बटन दबाना उसका जो
माफ़ीवीर नहीं कहलाते
बटन दबाना उसका जो
देश के लिए मर जाते
बटन दबाना उसका जो
झोला उठाकर ना भागे
बटन दबाना उसका जो
जनता के दर्द पे जागे
बटन दबाना उसका जो
*किसान* के दर्द को समझे
बटन दबाना उसका जो
जनता की ख़ातिर तड़पे
बटन दबाना उसका जो
खोले *दुकान-ए-मोहब्बत*
बटन दबाना उसका जो
चमकाए देश की किस्मत
बटन दबाना उसका जिसमे हो
*सच* कहने की हिम्मत
बटन दबाना उसका जो
जनहित में करे *बगावत*
बटन दबाना उसका जो
ऐलान करें *हम एक है*
बटन दबाना उसका जो
बंदा दिल का *नेक* है ❤️
- अमित साहू द्वारा रचित
मुश्किलों में जब भी पलटकर देखता हूँ
मेरे पीछे खड़े,आप नज़र आते है!
दुनिया हमदर्दी जताती है सिर्फ
"दर्द" तो बस "पापा" समझ पाते है!
आपकी तस्वीर मैं देखता नहीं
बेसबब बस आँसू छलक जाते है!
लग नहीं रहा है जी,अब तुम्हारे बाद
आरज़ू बची नही,अब तुम्हारे बाद
एक तुम और फासला मिटने से रहा
सब गलत न कुछ सही,अब तुम्हारे बाद
बहुत सी थी बातें जो कहनी थी मुझे तुमसे
खुद से ही मैंने सब कही,अब तुम्हारे बाद
मुस्कुराहट छोड़कर तुम तो चली गई
बारात आंसूओं की रही,अब तुम्हारे बाद
दास्तानें दर्द की हज़ारों दिलों में थी
पर कागज़ो पे ये बही,अब तुम्हारे बाद
मुश्किल था तुम्हें समझना,अब भी नामुमकिन
पहेली-पहेली ही रही,अब तुम्हारे बाद
तुम भी न समझ सके मुझको
तुम आखिरी उम्मीद थे मेरी...
समझते हो आखिरी उम्मीद...
वही जिसके टूटने के बाद कुछ नहीं बचता
सब कुछ लगता है खत्म-सा
वैसे ही जैसे किसी अंजान शहर की
गुमनाम सड़क पर
घुप्प अंधेरा हो
और Dead End आ जाए
कुछ समझ नहीं आता है
दिल बैठा जाता है
आँखों में आँसू नहीं होते
होती है सिर्फ निराशा
ना-उम्मीदी,बेचैनी,दर्द,डिप्रेशन!
और...काट खानेवाला अकेलापन...
ये सब होता है...
आखिरी उम्मीद के खो जाने से
किसी के न समझ पाने से....
इसलिए अगर
बन सको तो किसी की आखिरी
उम्मीद बनो...
उसे पूरा करने की जिद बनो !
आखिरी वक़्त में दगा नहीं देते
किसी का दामन छोड़कर सज़ा नहीं देते...
उम्मीद की किरण को बुझा नहीं देते
जो नाउम्मीद हो उसे पीठ दिखा नहीं देते...
जो बैठा हो आपकी आस लगाए
उस शख्स को रुला नहीं देते !!
इसलिए जब किसी की आखिरी उम्मीद बनो
तो उसके लिए चट्टान-सा तनो...
मिट्टी-सा छनो...
दो उसे जीवन नया...
जिसने की हो तुमसे आखिरी उम्मीद...
क्योंकि आखिरी उम्मीद
इंसान से नहीं खुदा से की जाती है !
आखिरी उम्मीद
इंसान को खुदा बनाती है !!
आखिरी उम्मीद
इंसान को खुदा बनाती है !!
रिश्ता ऐसा चाहिए
जिसमें कोई हिचक न हो...
कोई कसक न हो...
कोई ठसक न हो....
बस हो पानी-सा
निर्मल बहाव...
हो धूप-सा
चंचल स्वभाव....
हो फूलों-सी ताज़गी
न हो कोई नाराज़गी !
कोई भी ताम-झाम न हो
रिश्तों में हो बस सादगी !
कह दूँ तुमसे सब बेहिचक
करुँ बातें सारी बेसबब
बातों का ओर न छोर हो
झगड़ा जो हो घनघोर हो...
फिर बेहिचक हो जाए एक
जैसे झगड़ा हो कोई ब्रेक!
ऐसे ही रिश्ते टिकते है
जो बेहिचक ही लिखते है
एक-दूजे को गालियाँ
और दें बात-बात पर तालियाँ !
रिश्तों से 'हिचक' निकाल दो
बस बेशुमार तुम प्यार दो....
अपनेपन का व्यवहार दो...
बस जिंदगी संवार दो !!!