रविवार, 7 जुलाई 2024

अब तुम्हारे बाद 💔

 लग नहीं रहा है जी,अब तुम्हारे बाद
आरज़ू बची नही,अब तुम्हारे बाद

एक तुम और फासला मिटने से रहा
सब गलत न कुछ सही,अब तुम्हारे बाद

बहुत सी थी बातें जो कहनी थी मुझे तुमसे
खुद से ही मैंने सब कही,अब तुम्हारे बाद

मुस्कुराहट छोड़कर तुम तो चली गई
बारात आंसूओं की रही,अब तुम्हारे बाद

दास्तानें दर्द की हज़ारों दिलों में थी
पर कागज़ो पे ये बही,अब तुम्हारे बाद

मुश्किल था तुम्हें समझना,अब भी नामुमकिन
पहेली-पहेली ही रही,अब तुम्हारे बाद