मैं रावण हूँ .....
मुझे कभी , समझा ही नहीं गया
!
मेरे अट्टहास में मेरी
मृदुल हँसी को दबा दिया गया
मेरा गीत ,मेरा संगीत भी
भुला दिया गया
मैं रावण हूँ .....
मुझे कभी , समझा ही नहीं गया
!
कहा गया मुझे
सबसे बड़ा खलनायक
नहीं रहा मेरा
नाम भी रखने लायक
सोचता हूँ था क्या
मैं सचमुच इतना नालायक
मेरा पक्ष तो कभी
सुना ही नहीं गया
मैं रावण हूँ .....
मुझे कभी , समझा ही नहीं गया
!
अगर बहन के
सम्मान की रक्षा पाप है
तो मानता हूँ गर्व से
ये पाप मैंने किया है
सीता का हरण किया
पर उसे सम्मान पूरा दिया है
मैं लड़ा इसलिए कि
झुकना मुझे मंजूर न था
जानता था मुझे हारना ही है
पर घुटने टेकूँ इतना कमजोर न
था
मैंने युद्ध चुना लंका के
स्वाभिमान के लिए
मैं भिड़ा केवल अपने
आत्मसम्मान के लिए !
क्या लगता है आपको
मैं नहीं जानता था राम कौन है
???
क्या नहीं मानते आप कि मैं भी
महापंडित था
भक्त था ,राजा था ,वादक था ,साधक
था
कहिये न क्यों अब आप मौन है
???
सोचता हूँ कभी-कभी
क्या इतना बुरा था मैं ???
क्या यही अपराध था मेरा
कि स्वाभिमान का युद्ध लड़ा था
मैं ???
लक्ष्मण ने तो सूर्पनखा की
नाक काट दी थी
पर मैंने तो सीता को
छुआ तक नहीं !
जानता था मैं प्रेम
औरत की ओर से उपहार है
जानता था मैं समर्पण
विशुद्ध प्यार है
जरा मिले तो पूछना
कभी सीताजी से
कि उनकी सेवा में कोई
कमी छोड़ी हो मैंने !
हाँ मानता हूँ मैं
थोड़ा बहका जरूर था
शायद थोड़ा घमंड और गुरुर था
शक्ति के मद में अँधा और मगरूर था
पर जानता था मैं भी
जादू बहुत सारे
कर देता जो चाहता
सम्मोहन के इशारे
पर ऐसा इंद्रजाल
मैंने अपनाया नहीं
झूठ की राह चलकर
किसी को उलझाया नहीं
मैं "राक्षस " हूँ
क्योंकि
मैं रक्षक बना
न भोगी,विलासी इस भक्षक बना
शिव भक्ति में रचा
शिव तांडव मैंने
सीखी है सूर्य से
ज्योतिष विद्या मैंने
मेरे ध्वज पर सरस्वती का वास
है
राजनीती के गुण मेरे पास है
मुझे मोक्ष दिया था स्वयं प्रभु
राम ने
सोचो मुकद्दर मेरा कुछ तो ख़ास
है
मरते-मरते लक्ष्मण को दिया ज्ञान
मैंने
याने प्रभुराम को भी मुझपर विश्वास
है !
पर इस दुनिया से
है मुझको शिकायत बहुत
हर दशहरे दहन मेरा करवाते हो
मैं तो राम के नाम से
मोक्ष पा गया
तुम हर साल कहाँ से
मुझे जीवित कर लाते हो
कहीं ऐसा तो नहीं कि
तुम सभी के अंदर
एक बुरा रावण पल रहा है
जिसके फ़्रस्ट्रेशन में
तुम मुझे जलाते हो
दोस्त ! सोचना कभी
मैं इतना बुरा भी नहीं था
जितना बुरा तुम मुझे बताते हो
!
चलो अपने जीवन का आरम्भ करो नया
मेरा क्या है,
मैं तो रावण हूँ....
मुझे समझा ही नहीं गया !!!
मैं तो रावण हूँ....
मुझे समझा ही नहीं गया !!!